आजाद हिंद फौज के सिपाही को रोटी के लाले
92 वर्ष के सनाउल्लाह खां को 1941 की वह सुबह आज भी याद है जब गोंडा में सिपाही पद पर भर्ती होने के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने उनकी टोली को कोलकता जाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। साठ सिपाहियों की टीम गई तो थी
महराजगंज [विश्वदीपक त्रिपाठी] । 92 वर्ष के सनाउल्लाह खां को 1941 की वह सुबह आज भी याद है जब गोंडा में सिपाही पद पर भर्ती होने के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने उनकी टोली को कोलकता जाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। साठ सिपाहियों की टीम गई तो थी उन्हें गिरफ्तार करने लेकिन वहां पहुंच कर सभी सिपाहियों का मन बदल गया और वह नेताजी के साथ आजादी की जंग में शामिल हो गए। अब वृद्धावस्था की तकलीफों से जूझ रहे सन्नाउल्लाह और उनका परिवार दो जून की रोटी की मुश्किलों से बावस्ता है।
उसी समय द्वितीय विश्र्वयुद्ध (1939-1945) भी छिड़ गया। साथियों के साथ सनाउल्लाह भी नेताजी के साथ बर्मा (म्यांमार) व जापान तक गए। लगातार चलते युद्ध में अनवरत बंदूक चलाने से उनका एक हाथ खराब हो गया। एक गोली उनके दाहिने पैर में भी लगी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के बाद स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए उन्हें घर भेज दिया गया। इसी दौरान बदले घटनाक्रम में देश आजाद हो गया और सनाउल्लाह घर पर ही रह गए।
एक समय अपने भविष्य की चिंता छोड़ आजादी की जंग में कूदे सनाउल्लाह आज मुफिलिसी का जीवन जी रहे हैं। देश में आजादी का यह योद्धा आज रोटी के लिए भी मोहताज है। काफी भाग दौड़ के बाद उस समय बीस रुपये प्रति माह पेंशन स्वीकृत हुई थी। पत्नी सैनुल, बेटी रैमतुन, रजिया व उनके बच्चे इस समय मुश्किल दौर में हैं। सनाउल्लाह की यह दुख भरी कहानी सिर्फ बानगी भर है। आजाद हिद फौज से जुड़े जिले के सात अन्य योद्धा भी इसी तरह गुमनामी और मुफलिसी का जीवन गुजार रहे हैं।
शासन-प्रशासन से किसी तरह की मदद तो छोड़िए। अब तक सनाउल्लाह का राशन कार्ड तक नहीं बन पाया है। राशन कार्ड बनवाने के लिए उन्होंने ग्राम प्रधान से लेकर जिलाधिकारी से भी गुहार लगाई, लेकिन उनकी फरियाद नहीं सुनी गई। जिलाधिकारी सुनील कुमार श्रीवास्तव के अनुसार सनाउल्लाह खां का राशन कार्ड न बनने का मामला संज्ञान में नहीं है, शीघ्र ही जांच करा कर कार्ड बनवाया जाएगा। शासकीय प्रावधानों के अनुरूप उन्हें जो भी सुविधाएं मिलनी चाहिए, मुहैया कराई जाएंगी।