Move to Jagran APP

वाराणसी में होगी रत्न-आभूषण डिजाइनिंग की पढ़ाई

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेम्स एंड ज्वैलरी (आइआइजीजे), मुंबई का विस्तारित परिसर वाराणसी में खोला जा रहा है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 02 Dec 2016 09:13 PM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2016 01:13 AM (IST)
वाराणसी में होगी रत्न-आभूषण डिजाइनिंग की पढ़ाई

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रत्न एवं आभूषण डिजाइनिंग की पढ़ाई शुरू होगी। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जेम्स एंड ज्वैलरी (आइआइजीजे), मुंबई का विस्तारित परिसर वाराणसी में खोला जा रहा है। इसका शिलान्यास रविवार को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) निर्मला सीतारमण वाराणसी में करेंगी।

loksabha election banner

आइआइजीजे से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक मुंबई, दिल्ली एवं जयपुर में इसके केंद्र हैं। इन केंद्रों में रत्न एवं आभूषण डिजाइनिंग के स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के डिग्री कोर्स चलते हैं। लेकिन उत्तर भारत एवं पूर्वोत्तर भारत में तमाम संभावनाओं के बावजूद इस क्षेत्र में अब तक इस विषय की पढ़ाई का कोई केंद्र नहीं रहा है। जबकि वाराणसी और इसके आसपास के शहर लंबे समय से अपनी विभिन्न कलाओं के लिए जाने जाते रहे हैं। वाराणसी की बनारसी साडि़यां एवं गुलाबी मीनाकारी शिल्प मशहूर हैं।

पढ़ें- शादीशुदा महिलाएं 500 ग्राम और पुरुष 100 ग्राम रख सकते हैं सोना, पुश्तैनी सोने पर कोई कर नहीं

हीरों की तराशी में बनारस का बहुत पुराना इतिहास रहा है। पन्ना एवं गोलकुंडा से निकले हीरों की तराशी सदियों पहले वाराणसी के ही कारीगर किया करते थे। गुलाबी मीनाकारी तो करीब 25 वर्ष पहले वाराणसी में लगभग खत्म ही हो गई थी। कुछ स्थानीय स्वर्णकारों की पहल से यह बचाई जा सकी। लेकिन अब भी वाराणसी में इसके कारीगरों की संख्या जयपुर एवं बीकानेर के कुंदन मीनाकारी कारीगरों की तुलना में बहुत कम है।

वाराणसी में इसका विस्तारित कैंपस खुलने से न सिर्फ वाराणसी की प्रतिभाओं को रत्न एवं आभूषण से संबंधित विधिवत ज्ञान प्राप्त हो सकेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश के दूसरे शहरों, बिहार, झारखंड, कोलकाता एवं उत्तर-पूर्व के राज्यों को भी इसका लाभ मिलेगा।

पढ़ें- 500 और 1000 के पुराने नोट से किसान खरीद सकेंगे बीज और खाद

रत्न एवं आभूषण व्यवसाय से जुड़े जानकारों का मानना है कि चूंकि वाराणसी पर्यटन का भी एक बड़ा केंद्र है, इसलिए यहां कलाकारों की अच्छी टीम तैयार कर वाराणसी को रत्न एवं आभूषण के निर्यात का भी केंद्र बनाया जा सकता है। यहां हाथ से बने आभूषणों का अच्छा बाजार तैयार कर सिंगापुर की तरह पर्यटन एवं व्यवसाय के साझा केंद्र के रूप में वाराणसी को विकसित किया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.