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चीन की तनातनी के बीच सैन्य रिश्तों को नई धार देंगे भारत व अमेरिका

पिछले दिनों अमेरिका-भारत के सैन्य रिश्तों पर अमेरिका के विदेश मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय ने संयुक्त रिपोर्ट तैयार की है जिसे वहां के कांग्रेस में पेश किया गया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 28 Jul 2017 09:27 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jul 2017 09:27 PM (IST)
चीन की तनातनी के बीच सैन्य रिश्तों को नई धार देंगे भारत व अमेरिका
चीन की तनातनी के बीच सैन्य रिश्तों को नई धार देंगे भारत व अमेरिका

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चीन जिस तरह से सीमा विवाद को लेकर भारत से भिड़ा हुआ है ठीक उसी तरह से अमेरिका के साथ भी उसके रिश्ते दिनों दिन खराब होते जा रहे हैं। ऐसे में भारत और अमेरिका के सैन्य रिश्तों में नई गर्माहट आने के साफ संकेत अमेरिकी प्रशासन की तरफ से दिए गए हैं। कुछ ही दिन पहले भारत और अमेरिका ने जापान के साथ मिल कर बंगाल की खाड़ी में अभी तक का सबसे बड़ा नौ सेना अभ्यास किया है। अब भारत और अमेरिका के वायु सेनाओं के बीच अभी तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास होने जा रहा है।

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पिछले दिनों अमेरिका-भारत के सैन्य रिश्तों पर अमेरिका के विदेश मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय ने संयुक्त रिपोर्ट तैयार की है जिसे वहां के कांग्रेस में पेश किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका भारत की सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए कई स्तरों पर मदद कर रहा है। इसमें सैन्य आयुधों की आपूर्ति से लेकर अत्याधुनिक तकनीकी के हथियारों व इनसे जुड़ी तकनीकी को हस्तांतरित करने को लेकर अमेरिका की तैयारी दिखती है तो दूसरी तरफ अमेरिका ने यह भी कहा है कि वह भारत के साथ मिल कर सैन्य साजो समान व हथियारों का बड़ा प्रोजेक्ट लगाने को तैयार है। अमेरिका ने सैन्य उत्पादों से जुड़े उद्योगों के लिए भारत को निर्यात संबंधी दिक्कतों को भी दूर कर दिया है ताकि जरूरत पड़ने पर जल्दी से इनका निर्यात सुनिश्चित किया जा सके। इसमें कहा गया है कि अमेरिकी प्रशासन ने भारत को एक अहम रक्षा साझेदार घोषित किया है लेकिन अब इसे अमल में लाने की जिम्मेदारी विदेश, रक्षा व वाणिज्य मंत्रालय की है। सनद रहे कि पूर्व ओबामा प्रशासन ने जून, 2016 में भारत को अहम साझेदार घोषित किया था।

रिपोर्ट के कई अंश है जो भारत व अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग के लिए चल रहे कामों की गंभीरता को बताते हैं। मसलन, 2012 से दोनो देशों के बीच रक्षा तकनीक व कारोबार के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त कार्य समूह काम कर रहे हैं। ये कार्य दल अलग-अलग क्षेत्रों (एयरक्राफ्ट कैरियर्स, जेट इंजिन, रसायन व जैविक युद्ध की स्थिति में बचाव के उपाय) में स्थापित किये गये हैं। इस कार्यदल की कोशिशों की वजह से भारत को रडार, गैस टरबाइन इंजन, नाइट विजन जैसी अन्य तकनीकी हासिल हो चुकी है। दोनों देश एयरक्राफ्ट कैरियर के डिजाइन पर काम कर रहे हैं। सनद रहे कि भारत अपना सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर अमेरिका के सहयोग से तैयार कर रहा है। पिछली बार जब पीएम मोदी अमेरिका गये तब भी उनकी बातचीत इस प्रोजेक्ट पर हुई थी। इसमें बताया गया है कि भारत व अमेरिका के वायु सेना के बीच एक बड़ा अभ्यास जल्द होने वाला है।

जानकारों की मानें तो जिस समय अमेरिकी प्रशासन ने यह रिपोर्ट पेश की है वह अहम है। रिपोर्ट में हिंद व प्रशांत महासागर का भी कई बार उल्लेख है कि किस तरह से भारत के साथ मिल कर अमेरिका इस पूरे क्षेत्र में काम करने को तत्पर है। साफ है कि ये बातें भारत के कुछ पड़ोसी देशों को बहुत नागवार गुजरेगी।

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