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मध्‍यप्रदेश: पाठ्यपुस्‍तक के अनुसार, 1962 के जंग में हुई थी भारत की जीत

मध्‍यप्रदेश में संस्कृत की एक किताब में बताया गया है कि 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध में भारत ने चीन को हराया था। यह किताब मध्यप्रदेश में सीबीएसई के कई स्कूलों में पढ़ाई जा रही है।

By Monika minalEdited By: Published: Thu, 10 Aug 2017 10:08 AM (IST)Updated: Thu, 10 Aug 2017 11:28 AM (IST)
मध्‍यप्रदेश: पाठ्यपुस्‍तक के अनुसार, 1962 के जंग में हुई थी भारत की जीत
मध्‍यप्रदेश: पाठ्यपुस्‍तक के अनुसार, 1962 के जंग में हुई थी भारत की जीत

भोपाल (जेएनएन)। डोकलाम में जहां भारत और चीन के सैनिक आमने सामने डटे हैं वहीं मध्‍यप्रदेश के अनेकों सीबीएसई संबद्ध स्‍कूलों के छात्रों को बताया जा रहा कि 62 के जंग में चीन को हरा कर भारत ने जीत हासिल की थी।

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संस्कृत की किताब सुकृतिका भाग-3 जो 8वीं के बच्चों को पढ़ाई जा रही है, जिसके अनुसार- 1962 के प्रसिद्ध भारत-चीन युद्ध में भारत ने जीत हासिल की थी। लखनऊ के कृति प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित इस पुस्‍तक को पांच लेखकों ने लिखा है जिसमें दिवंगत प्रोफेसर उमेश प्रसाद रस्‍तोगी और व्‍याकरण विशेषज्ञ सोमदत शुक्‍ला भी शामिल हैं। तीन अन्‍य लेखकों में मधु सिंह, ललिता सेंगर और निशा गुप्‍ता हैं।

‘श्री जवाहर लाल नेहरु’ शीर्षक वाले इस पाठ में गलत सूचना दी गयी है। पाठ्यपुस्‍तक में नेहरु की उपलब्‍धियों को सूचिबद्ध करते हुए कहा गया, ‘भारत के पहले प्रधानमंत्री ने अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाया और चीन के घुसपैठ का जवाब दिया था। प्रधानमंत्री के तौर पर जवाहरलाल नेहरु के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1962 में चीन ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। नेहरु के प्रयासों के साथ भारत ने चीन को हरा दिया।‘ स्‍कूल के हजारों छात्र इतिहास की इस गलत जानकारी को ग्रहण कर रहे हैं। 1962 के युद्ध में चीन की जीत हुई थी। 1962 में भारतीय सैनिकों ने चीन का आखिरी दमतक मुकाबला किया था, लेकिन उस वक्त जीत चीन की ही हुई थी।

टाइम्‍स ऑफ इंडिया के अनुसार प्रकाशकों की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। तीन अन्‍य लेखकों से भी बात नहीं हो पाई। लखनऊ यूनिवर्सिटी के संस्‍कृत विभाग के प्रमुख राम सुमिर यादव ने बताया कि प्रोफेसर रस्‍तोगी का पिछले साल निधन हो गया। ‘मैं किताब में उनके द्वारा लिखे गए इस कथन पर कोई कमेंट नहीं कर सकता। टेक्‍स्‍टबुक में गलत जानकारी के बाद शिक्षकों व पैरेंट्स में आक्रोश है।

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