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विज्ञान के क्षेत्र में 2030 तक दुनिया के शीर्ष तीन देशों में होगा भारत

प्रधानमंत्री मंगलवार को श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में आयोजित पांच दिवसीय 104वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 03 Jan 2017 06:41 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jan 2017 07:06 PM (IST)
विज्ञान के क्षेत्र में 2030 तक दुनिया के शीर्ष तीन देशों में होगा भारत

तिरुपति, आइएएनएस/प्रेट्र । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत 2030 तक विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शुमार हो जाएगा और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं के लिए आकर्षक स्थल बन जाएगा। प्रधानमंत्री ने एससीओपीयूएस डेटाबेस के हवाले से बताया कि वैज्ञानिक प्रकाशन के क्षेत्र में भारत अब छठे स्थान पर पहुंच गया है और उसकी वृद्धि दर 14 प्रतिशत है। जबकि इस मामले में वैश्विक वृद्धि दर चार प्रतिशत है।

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प्रधानमंत्री मंगलवार को श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में आयोजित पांच दिवसीय 104वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इसमें देशभर के 14 हजार वैज्ञानिकों और शोधार्थियों के अलावा अमेरिका, जापान, इजरायल, फ्रांस और बांग्लादेश के छह नोबेल पुरस्कार विजेता भी हिस्सा ले रहे हैं। कांग्रेस में प्रधानमंत्री ने 'वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारी' की अवधारणा विकसित करने पर बल दिया ताकि प्रतिष्ठित संस्थानों को सभी संबंधित पक्षों से जोड़ा जा सके। साथ ही उन्होंने देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों में अनुसंधान को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि मूलभूत जानकारी को नई खोजों, स्टार्ट अप और उद्योगों में बदलने से सम्मिलित और सतत विकास हासिल करने में मदद मिलेगी।

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मोदी ने कहा कि देश के सामने स्वच्छ जल और ऊर्जा, भोजन, पर्यावरण, जलवायु, सुरक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। लेकिन, साथ ही हमें विध्वंसक तकनीकों के विकास पर नजर रखनी होगी और विकास के लिए उनसे लाभ उठाने के लिए भी तैयार रहना होगा। हमें अपनी तकनीकी तैयारी और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता के लिए चुनौतियों व अवसरों का ईमानदारी से आकलन करना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल विज्ञान कांग्रेस में जारी 'टेक्नोलॉजी विजन-2035' दस्तावेज अब दर्जनभर तकनीकी क्षेत्रों के लिए विस्तृत रोडमैप के रूप में विकसित हो रहा है। वहीं, नीति आयोग भी देश के लिए एक समग्र विज्ञान और तकनीकी परिकल्पना के विकास में जुटा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विज्ञान को लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करना चाहिए। साथ ही हमें शहरी-ग्रामीण विभाजन की समस्या का हल खोजना होगा और समावेशी विकास, आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के लिए कार्य करना होगा। इसके लिए एक नए व्यापक ढांचे की जरूरत होगी जो सभी संबंधित पक्षों के बीच समन्वय स्थापित करेगा।

विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय विज्ञान और तकनीक मंत्री हर्षवर्धन, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन और मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू भी उपस्थित थे। बता दें कि तिरुपति में यह आयोजन दूसरी बार हो रहा है। इससे पहले यहां इसका आयोजन 1983 में किया गया था।

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मोदी ने तिरुपति मंदिर में की प्रार्थना

विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तिरुपति के प्रसिद्ध भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। उनके साथ आंध्र प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी थे। मोदी ने पिछले साल 22 अक्टूबर को भी तिरुपति पहुंचकर भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन किए थे।


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