चीन को साधने के लिए भारत ने बढ़ाई म्यांमार को सैन्य सामानों की आपूर्ति
भारत अब म्यांमार को हल्के टोरपेड भी निर्यात करने जा रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। क्षेत्र में चीन के दबदबे की काट के तौर पर एक सुनियोजित रणनीति के तहत भारत ने म्यांमार के साथ अपने सैन्य संबंधों को और मजबूती देना शुरू कर दिया है। भारत अब उसे स्वदेशी हल्के टोरपेडोज भी निर्यात करने जा रहा है। म्यांमार की सेना के जवानों को पहले ही भारत रॉकेट लांचर्स, मोर्टार्स, राइफल्स, रेडार्स, अंधेरे में देखने में मददगार डिवाइस, जिप्सी, बैले ब्रिज के साथ ही संचार उपकरण, सड़क निर्माण में काम आनेवाले सामग्री दे चुका है।
शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान स्वदेशी टोरपेडोज के 37.9 मिलियन डॉलर मूल्य के सौदे से संबंधित निर्यात डॉक्यूमेंट्स वित्तमंत्री और रक्षामंत्री अरूण जेटली के सामने पेश किया गया। डीआरडीओ प्रमुख एस. क्रिस्टोफर ने कहा कि हल्के वजन के टोरपेडोज को उनकी संस्था की तरफ से विकसित किया गया है और इसका उत्पादन रक्षा क्षेत्र के पीएसयू भारत डायनामिक्स और इंजीनियरिंग क्षेत्र के एलएंडटी की तरफ से किया गया है।
भारतीय सेना के जवान 1,643 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पेट्रोलिंग के लिए म्यांमार के जवानों के साथ ही आपसी सहयोग को बढ़ा रहा है जहां पर कई तरह के उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं। भारत चाहता है कि म्यांमार उग्रवादी समूहों जैसे एनएससीएन (खापलांग), उल्फा, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ). पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) कन्नग्लेई यवोल कन्ना लुप (केवाईकेएल) और कांगलेईपक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) के खिलाफ कार्रवाई करे। इन सभी उग्रवादी समूहों का अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास घने जंगलों में लंबे समय से ठिकाना बना हुआ है। मणिपुर के चंदेल जिले में सेना के जवानों पर हुए हमले में 18 जवानों के शहीद होने के बाद जून 2015 में भारत के पैरा कमांडों ने सफलतापूर्वक सीमापार रेड कर म्यांमार में बने उग्रवादियों के दो कैंप नष्ट कर दिया था।
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