भारत ने विकास लक्ष्यों पर बाहरी निगरानी का विरोध किया
भारत ने राष्ट्रों के विकास लक्ष्यों को हासिल करने की प्रगति मापने के लिए बाहरी निगरानी तंत्र का विरोध किया है। वैश्विक विकास का बोझ केवल विकासशील देशों पर नहीं डाला जा सकता।
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने राष्ट्रों के विकास लक्ष्यों को हासिल करने की प्रगति मापने के लिए बाहरी निगरानी तंत्र का विरोध किया है। वैश्विक विकास का बोझ केवल विकासशील देशों पर नहीं डाला जा सकता।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संसद के अध्यक्षों के चौथे विश्व सम्मेलन में कहा कि हर देश सतत विकास को हासिल करने में खास चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसलिए वह अपनी परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के अनुरूप इसके लिए विभिन्न तरीके, सोच, मॉडल और उपाय को अपना सकता है।
महाजन ने कहा कि इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संप्रभु राष्ट्रों के ऊपर बाहरी निगरानी तंत्र या मानदंड नहीं होना चाहिए। वैश्विक विकास का बोझ केवल विकासशील देशों पर नहीं पड़ना चाहिए। विकसित देशों को इसमें आगे बढ़कर उदाहरण पेश करना चाहिए।
महाजन ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम की भावना से विकासशील देशों के प्रयासों को समर्थन देने के लिए एक मजबूत ग्लोबल पार्टनरशिप की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी एक ऐसी दुनिया में रहना चाहते हैं जहां शांति, समानता, मानवाधिकार और श्रम की इज्जत हो।
एक ऐसी दुनिया जो भेदभाव, गरीबी और भुखमरी मुक्त हो। महाजन ने कहा कि उत्तम शासन विकास के योग्य बनाता है। भारत की विकास की सोच का उल्लेख करते हुए महाजन ने कहा कि फोकस इस बात पर है कि विकास की प्रक्रिया में कोई व्यक्ति छूट न जाए। उन्होंने कहा कि विकास का हमारा मिशन है 'सबका साथ, सबका विकास'।
मून ने की भारतीय लोकतंत्र की प्रशंसा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारतीय लोकतंत्र की सराहना की। उन्होंने महिला अधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में संसद द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। मून ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के साथ मुलाकात के दौरान अपने विचार प्रकट किए। इस दौरान राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन भी मौजूद थे। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर सार्थक सहमति और सतत विकास एजेंडा को मंजूरी समेत संयुक्त राष्ट्र के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चर्चा की।