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'पाकिस्तान से तेज और छोटे युद्ध को तैयार रहे सेना'

पाकिस्तान की नापाक हरकतों के मद्देनजर सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग ने तीनों भारतीय सेनाओं से तेज और छोटे युद्ध के लिए भी तैयार रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में युद्ध की तैयारियों के लिए ज्यादा समय नहीं होगा। इसलिए हमें हमेशा इस तरह के संक्षिप्त युद्धों के

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2015 01:58 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2015 07:19 AM (IST)
'पाकिस्तान से तेज और छोटे युद्ध को तैयार रहे सेना'

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पाकिस्तान की नापाक हरकतों के मद्देनजर सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग ने तीनों भारतीय सेनाओं से तेज और छोटे युद्ध के लिए भी तैयार रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में युद्ध की तैयारियों के लिए ज्यादा समय नहीं होगा। इसलिए हमें हमेशा इस तरह के संक्षिप्त युद्धों के लिए तैयारियां उच्च स्तर पर रखनी होंगी।

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1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्वर्ण जयंती पर आयोजित तीनों सेनाओं की संगोष्ठी में मंगलवार को सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह ने जम्मू-कश्मीर के साथ अन्य क्षेत्रों में हिंसा की साजिश रच रहे पाकिस्तान की हरकतों पर कड़ी सतर्कता की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि भारत में अशांति फैलाने के पाकिस्तान नए-नए हथकंडे आजमा रहा है। खासकर पश्चिमी सीमा पर जम्मू-कश्मीर में बार-बार संघर्ष विराम के उल्लंघन और घुसपैठ की वारदातों से माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। पाकिस्तानी हरकतों पर कड़ा रुख अपनाते हुए सेनाध्यक्ष ने चेताया, 'ऑपरेशनल तैयारियों को हर समय उच्च स्तर पर रखना जरूरी है। यह हमारी रणनीति के लिए अहम हो गया है।'

उन्होंने बताया कि पाकिस्तान जिस तरह से संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं को बढ़ा रहा है, उससे सेना पहले से अधिक सतर्क हो गई है। हमारे खतरे और चुनौतियां पहले से अधिक जटिल हो गए हैं। 1965 के युद्ध में भारतीय सेना के अदम्य साहस, असाधारण महानता और दृढ़ संकल्प की गाथा को उन्होंने दोहराया।

1965 का युद्ध स्कूलों में पढ़ाएं: रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पांच दशक पूर्व पाकिस्तान के साथ लड़े गए युद्ध में भारतीय सैनिकों की वीरता को याद करते हुए कहा है कि इसे स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की स्वर्ण जयंती के मौके पर आयोजित सैन्य बलों के एक कार्यक्रम में पर्रिकर ने कहा कि 1965 के भारत-पाक युद्ध में हमारे सैन्य बलोंं ने जैसी वीरता और साहस का परिचय दिया उसे स्कूलों में पढ़ाए जाने की जरूरत है। इस युद्ध में भारतीय सेना ने तमाम सीमाओं के बावजूद जिस कार्यकुशलता का परिचय दिया और दुश्मन को परास्त किया, उससे ना सिर्फ इसने देशवासियों का हृदय जीत लिया, बल्कि पूरी दुनिया ने इसका लोहा भी माना। आने वाली पीढिय़ों के मन में राष्ट्रभक्ति और देश के लिए मर मिटने की भावना पैदा करने के लिए उन्हें इसके बारे में बताना बेहद जरूरी है।

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'पाकिस्तान के दुस्साहस की आशंका से कभी इन्कार नहीं किया जा सकता।...सीमा पर कुछ ताकतें 1965 जैसे दुस्साहस की दोबारा कोशिश कर सकती हैं। इसलिए सैन्य बलों को हमेशा तैयार रहना चाहिए।' -मनोहर पर्रिकर, रक्षा मंत्री


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