2031 तक 60 करोड़ हो जाएगी देश की शहरी आबादी
संयुक्त राष्ट्र । भारत, शहरी क्रांति की कगार पर पहुंच चुका है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2031 तक देश की शहरी आबादी 60 करोड़ होने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था और वातावरण पर केंद्रित वैश्विक आयोग की नई रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दशकों में भारत की आबादी 21 करोड़ 70 लाख से बढ़कर 37
संयुक्त राष्ट्र । भारत, शहरी क्रांति की कगार पर पहुंच चुका है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2031 तक देश की शहरी आबादी 60 करोड़ होने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था और वातावरण पर केंद्रित वैश्विक आयोग की नई रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दशकों में भारत की आबादी 21 करोड़ 70 लाख से बढ़कर 37 करोड़ 70 लाख हो चुकी है, जो 2031 तक साठ करोड़ हो जाएगी, यानी देश की कुल 40 फीसदी आबादी शहरी होगी।
नए शहरों में कमी ं
रिपेार्ट के मुताबिक, शहरों के किनारे पर बस रहे नए शहरों की बसावट में कोई योजना नहीं है, इनके निर्माण में शहरी मानकों और कानूनों का ध्यान नहीं रखा जा रहा। नए शहर अनियंत्रित विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि इनमें आधारभूत संरचनाओं की कमी है और सेवा क्षेत्र भी विकसित नहीं है। नए शहरों के विकास के लिए अगले बीस सालों में 827 बिलियन अमेरिकी डालर की जरूरत पड़ेगी, जिसका दो तिहाई केवल शहरी सड़क ों और यातायात पर खर्च होगा।
वायु प्रदूषण बढा़एंगे नए शहर
रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक शहरी वायु प्रदूषण, वातावरण के नकारात्मक प्रभाव से होने वाली अकाल मौतों की प्रमुख वजह बनेगा। शहरी वायु प्रदूषण के बढ़ने की वजह से 2010 में 2001 से छह गुना ज्यादा मौतें [6,20,000] हुई। अंदाजा लगाया जा रहा है कि चौतरफा फैलते शहरों की वजह से वातावरण में बढ़ रहे क्षरण से भारत की जीडीपी 5.7 फीसदी तक घट रही है, इससे सालाना 80 बिलियन डालर का नुकसान हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि यह रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है, जब अगले सप्ताह दुनियाभर के नेताओं की क्लाइमेट समिट होने जा रही है।