बान की मून को घर जैसा लगता है भारत
भारत के आतिथ्य सत्कार से अभिभूत संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को भारत अपना घर जैसा लगता है। देश के 66वें गणतंत्र दिवस पर भेजे गए संदेश में भारत से अपने विशेष लगाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नई दिल्ली आने पर उनका एकाकीपन दूर हो
संयुक्त राष्ट्र। भारत के आतिथ्य सत्कार से अभिभूत संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को भारत अपना घर जैसा लगता है। देश के 66वें गणतंत्र दिवस पर भेजे गए संदेश में भारत से अपने विशेष लगाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नई दिल्ली आने पर उनका एकाकीपन दूर हो जाता है।
बान की मून ने राजनयिक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत 43 साल पहले वर्ष 1972 में नई दिल्ली से ही की थी। तब वह दक्षिण कोरिया के उप वाणिज्य दूत के तौर पर दिल्ली आए थे। महीने की शुरुआत में नई दिल्ली और गुजरात का दौरा करने वाले यूएन महासचिव ने कहा कि उन्होंने ऐसे समय में भारत की यात्रा की जब देश वर्ष 2015 के लिए निर्धारित विकास एजेंडे को सफलतापूर्वक हासिल करने के लिए प्रयासरत है।
भारत यात्रा की यादों को ताजा करते हुए बान की मून ने बताया कि वह साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी के पत्रों को देखकर खुद को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'महात्मा गांधी शांति के हिमायती, मानवाधिकार के रक्षक और गरीबों को सशक्त बनाने के समर्थक थे। ये वही मूल्य हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में शामिल किया गया है। यह हम सब की जिम्मेदारी है कि उनकी विरासत को आगे बढ़ाया जाए।' उन्होंने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि भारत आकर वह अपने घर जैसा महसूस करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के तौर पर बान अब तक चार बार भारत की यात्रा कर चुके हैं। पिछले दौरे पर वह वसंत विहार इलाके में स्थित उस मकान में भी गए थे जहां वह दशकों पहले रहते थे। उन्होंने बताया कि उन्हें अब भी दिल्ली स्थित घर का फोन नंबर याद है।