ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन के लिए भारत हुआ खास, आर्थिक संबंधों को मिलेगा बढ़ावा
मोदी और मे के बीच हुई टेलीफोन वार्ता में भारत व ब्रिटेन के रिश्ते के नए धरातल तलाशने की पहली बार औपचारिक बातचीत हुई।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूरोपीय संघ से निकलने के बाद ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने नए रणनीतिक व आर्थिक संबंधों को परिभाषित करने में जुटा है। यह तय है कि ब्रिटेन की इस नई कोशिश में भारत की अहम भूमिका होगी। आज यही बात ब्रिटेन की नवनियुक्त पीएम थेरेसा मे ने पीएम नरेंद्र मोदी से कही है।
मे ने अपनी सरकार के नए एशियाई व प्रशांत मामलों के उप विदेश मंत्री आलोक शर्मा को सबसे पहले भारत की यात्रा पर भेज कर यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि आने वाले दिनों में भारत का महत्व रणनीतिक व आर्थिक दृष्टिकोण से काफी अहम होगा। यही नहीं ब्रिटेन ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) की संभावना पर भी विचार विमर्श शुरु कर दिया है।
बुधवार को मोदी और मे के बीच हुई टेलीफोन वार्ता में भारत व ब्रिटेन के रिश्ते के नए धरातल तलाशने की पहली बार औपचारिक बातचीत हुई। मे ने मोदी को यह बताया कि नई वैश्विक चुनौतियों के बीच वह मोदी के साथ काम करने को इच्छुक हैं। मोदी ने भी उन्हें बताया कि वह दोनों देशों के बीच रणनीतिक रिश्ते को और मजबूत करने को तैयार हैं। मोदी ने वैश्विक मंच पर भारत के हितों का समर्थन करने के लिए ब्रिटेन को धन्यवाद भी दिया। मोदी और मे के बीच यह वार्ता तब हुई है जब ब्रिटेन के नए उप विदेश व राष्ट्रमंडल मंत्री आलोक शर्मा भारत के दौरे पर आये हैं। शर्मा राजग सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों से मुलाकात की है।
इसके अलावा उन्होंने भारत के बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की है। माना जा रहा है कि इस दौरे के दौरान दोनो देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते की संभावना भी तलाशने पर बातचीत हुई है। वैसे ब्रिटेन आधिकारिक तौर पर किसी भी देश के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर आधिकारिक तौर पर तभी बात कर सकता है जब वह यूरोपीय संघ से पूरी तरह से अलग हो जाए। इसलिए दोनो देश फिलहाल अनौपचारिक तौर पर बातचीत शुरु कर रहे हैं। ब्रिटेन भारत के साथ एफटीए को लेकर खास तौर पर उत्साहित हैं। वह ब्रेक्जिट पर फैसला आने से पहले से ही इस बारे में भारत का मन टटोलने की कोशिश कर रहा है। भारत की तरफ से भी यह संकेत दे दिया गया है कि वह इसके लिए तैयार है। सनद रहे कि भारत की 600 कंपनियां अभी ब्रिटेन में काम कर रही हैं। भारत ब्रिटेन में निवेश करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। यह भी एक वजह है कि ब्रिटेन भारत के साथ खास आर्थिक संबंध को बढ़ावा देना चाहता है।
लेकिन कोहिनूर लौटाने को तैयार नहीं
ब्रिटेन भारत के साथ विशेष रणनीतिक व आर्थिक संबंध के लिए भले ही कितना भी उत्सुक हो लेकिन कोहिनूर हीरे को लौटाने को लेकर वह बहुत उत्साहित नहीं है। भारत यात्रा पर आये ब्रिटेन के नए एशिया व प्रशांत मामलों के मंत्री आलोक शर्मा ने साफ तौर पर कहा है कि ब्रिटेन सरकार समझती है कि कोहिनूर लौटाने का कोई कानूनी आधार नहीं है। सनद रहे कि पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने कैबिनेट मंत्रियों को यह निर्देश दिया है कि वे कोहिनूर को वापस लौटाने के विकल्पों पर नए सिरे से विचार करे। इस पर पिछले दिनों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और संस्कृति मंत्री महेश शर्मा के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक भी हुई थी। कोहिनूर को लौटाने का मामला राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद तूल पकड़ रहा है। हालांकि कुछ ही महीने पहले सरकार सुप्रीम कोर्ट में यह बता चुकी है कि कोहिनूर को लौटाने के लिए उसके पास कोई अधिकार नहीं है।
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