चीन के साथ तनातानी के बीच 'लुक ईस्ट' नीति को इस तरह नई धार दे रहा है भारत
चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच भारत ने अपनी लुक ईस्ट नीति को नई धार देने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चीन के साथ सिक्किम-भूटान विवाद गहराने के साथ ही भारत की लुक ईस्ट नीति को भी नई धार देने की प्रक्रिया तेज हो गई है। जी-20 समूह बैठक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने एशिया के तीन ऐसे देशों के प्रमुखों से मुलाकात की है जो समान तौर पर चीन की साम्राज्यवादी नीतियों से भयभीत हैं। इधर नई दिल्ली में म्यंमार के सेना प्रमुख मिन आंग लाइंग की जोरदार स्वागत की भी तैयारी है। दो महीने बाद भारत व जापान की सालाना बैठक भी है जिसमें इनके बीच नए रणनीतिक समझौतों का ऐलान होगा। साथ ही विएतनाम, थाइलैंड और इंडोनेशिया के साथ भारत के नए सैन्य अभ्यास की तैयारी भी जोरों पर है।
पीएम मोदी ने शनिवार को हैंबर्ग (जी-20) की बैठक के दौरान जापान के पीएम शिंजो एबे, दक्षिण कोरिया के प्रेसिडेंट मून जे-ईन और विएतनाम के पीएम उयेन शुआन फुक के मुलाकात की। भारत की लुक ईस्ट नीति के ये तीनों देश अहम साझेदार हैं। इन तीनों देशों के अलावा मोदी ने पांच अन्य देशों के प्रमुखों से भी द्विपक्षीय मुलाकात की है और तमाम आपसी व वैश्विक मसलों पर बातचीत की है। इन सभी देशों के साथ बैठक में परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के संगठन एनएसजी में प्रवेश का मुद्दा समान तौर पर उठा है। साथ ही द्विपक्षीय मसलों पर भी इन देशों के साथ मोदी की बातचीत हुई है लेकिन जापान, दक्षिण कोरिया और विएतनाम का अपना अलग महत्व है। ये तीनों देश भारत की लुक ईस्ट नीति के अहम हिस्सा हैं और मौजूदा केंद्र सरकार इन तीनों देशों के साथ रिश्तों को नए तरीके से आगे बढ़ाने में जुटी है। कूटनीतिक सर्किल में भारत की तरफ से पूर्वी एशियाई देशों के साथ रिश्तों को नई गर्माहट देने की हो रही कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत की लुक ईस्ट नीति के तमाम परिणाम भी हाल के दिनों में दिखने शुरु हो गये हैं। पिछले महीने ही जापान की संसद ने भारत को परमाणु तकनीकी व उपकरण देने का कानून पास किया है। सितंबर, 2017 में पीएम एबे भारत जापान सलाना बैठक में हिस्सा लेने आने वाले हैं जहां परमाणु सहयोग पर आगे का रोडमैप बनेगा। चीन की आक्रामक नीतियों से परेशान विएतनाम अब भारत को सीधे यह संदेश देना शुरु कर दिया है कि वह द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम देने को तैयार है। यही वजह है कि चीन की तमाम आपत्तियों के बावजूद विएतनाम ने साउथ चाईना सी में भारतीय कंपनी ओएनजीसी को दिए गए तेल ब्लाक की अवधि बढ़ा दी है। इस हफ्ते की शुरुआत में विएताम के डिप्टी पीएम व विदेश मंत्री फाम बिन मिन भारत आये थे और यहां उनकी अधिकारियों के साथ ''आपसी रणनीतिक हितों'' की रक्षा करने के लिए ठोस कदम उठाने पर चर्चा हुई है।
शुरुआती झिझक के बाद म्यंमार की नई सरकार भी अब भारत की लुक ईस्ट नीति को पूरा तवज्जो देने लगी है। यही वजह है कि भारत ने म्यंमार के सेना प्रमुख आंग लाइंग का जोरदार स्वागत की तैयारी कर रहा है। उनकी पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री अरुण जेटली और एनएसए अजीत डोभाल के साथ बातचीत होगी। अभी तक सारे सैन्य साजो समान चीन से खरीद रहे म्यंमार को भारत भी लुभाने की कोशिश में है। इसके अलावा भारत की दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ सैन्य अभ्यास की नई तैयारियों में भी जुटा है। खास तौर पर इंडोनेशिया, थाईलैंड और विएतनाम के साथ वृहत पैमाने पर सैन्य अभ्यास की तैयारी है।
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