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भारत-पाकिस्तान में पड़ सकता है भीषण सूखाः अमेरिकी एजेंसी

भीषण गर्मी के बीच एक अमेरिकी एजेंसी ने भारत में भीषण सूखा पड़ने की आशंका जताई है। एक्यूवेदर नामक एजेंसी का आंकलन है कि प्रशांत महासागर में बन रही परिस्थितियों के चलते इस बार मानसून कमजोर रहेगा। महासागर से कई बड़े तूफान उठने वाले हैं जो मानसून को भटका देंगे।

By anand rajEdited By: Published: Sat, 30 May 2015 09:06 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2015 10:43 AM (IST)
भारत-पाकिस्तान में पड़ सकता है भीषण सूखाः अमेरिकी एजेंसी

नई दिल्ली। भीषण गर्मी के बीच एक अमेरिकी एजेंसी ने भारत में भीषण सूखा पड़ने की आशंका जताई है। एक्यूवेदर नामक एजेंसी का आंकलन है कि प्रशांत महासागर में बन रही परिस्थितियों के चलते इस बार मानसून कमजोर रहेगा।

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महासागर से कई बड़े तूफान उठने वाले हैं जो मानसून को भटका देंगे। इसका असर न केवल भारत बल्कि पाकिस्तान पर भी पड़ेगा।

भारत में मौसम विभाग ने मानसून के वक्त पर आने और सामान्य रहने का अनुमान लगाया है, लेकिन अलनिनो की भी आशंका जताई गई है। अब अमेरिकी एजेंसी की इस भविष्यवाणी से भारत में चिंता बढ़ गई है।

एजेंसी के प्रवक्ता के मुताबिक, अलनिनो पर भारतीय मौसम विभाग की आशंका बिल्कुल सही है, लेकिन उन्होंने हालात को कमजोर करके लोगों के सामने रखा है, ताकि किसी तरह ही हड़बड़ाहट पैदा नहीं हो।

ऐक्यूवेदर के मुताबिक अकाल की यह स्थिति एल नीनो प्रभाव की वजह से पैदा होगी। समुद्रतल का तापमान बढ़ता-घटता रहता है। तापमान के बढ़ने की स्थिति एल नीनो कहलाती है। इसकी वजह से औसत से ज्यादा चक्रवातीय तूफान आते हैं।

वैसे, एल नीनो के बारे में इसी तरह की बात भारतीय मौसम विभाग भी कह चुका है। लेकिन, भारतीय अधिकारियों ने पूर्वानुमान देते हुए संयमित रवैया अपनाया था ताकि किसी तरह की घबराहट की स्थिति पैदा न हो।

पिछले महीने भारतीय मौसम विभाग ने कहा था कि इस बार मॉनूसन सामान्य से कम रहेगा। 22 अप्रैल को जारी अपने पूर्वानुमान में कहा गया कि बारिश औसत की 93 फीसदी होगी। एक सीनियर मौसम विज्ञानी ने ऐक्युवेदर की रिपोर्टर पर कहा कि हड़बड़ी मचाने की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा, 'एल नीनो की वजह से तूफान आते हैं लेकिन अभी से घबराहट फैलाने की क्या जरूरत है। हमने जरूरी सूचनाएं संबंधित मंत्रालयों के साथ साझा कर दी हैं। सरकार जरूरी उपायों पर काम कर रही है।' उन्होंने कहा कि जब पिछले साल 12 फीसदी कम बारिश हुई थी तो हालात को संभाल लिया गया था, तब इस साल भी ऐसा किया जा सकता है।

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