यूएन की स्थाई सदस्यता पर भारत की कोशिश तेज
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वराज की अगुवाई में हुई दो बैठकों का हवाला दिया और जर्मनी, जापान और ब्राजील के विदेश मंत्रियों के साथ समूह-4 देशों की बैठक में हिस्सा लिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य बनने को लेकर भारत की कूटनीतिक कोशिशें एक बार फिर तेज होती दिख रही हैं। अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र के सालाना अधिवेशन में भाग लेने गई विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अगुवाई में कई स्तरों पर इसकी कोशिशें हो रही हैं।
भारतीय पक्षकार मान रहे हैं कि जिस तरह से वैश्विक हालात बदल रहे हैं उसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा स्वरूप को बदलने की प्रक्रिया को ज्यादा दिनों तक नहीं रोका जा सकता। ऐसे में यह माकूल माहौल है कि भारत वैश्विक स्तर पर अपने बढ़ते रुतबे के मुताबिक स्थाई सदस्यता पाने की कोशिश को तेज करे।
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वराज की अगुवाई में हुई दो बैठकों का खास तौर पर हवाला दिया। स्वराज ने जर्मनी, जापान और ब्राजील के विदेश मंत्रियों के साथ समूह-4 देशों की बैठक में हिस्सा लिया। उक्त चारों देश सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य बनाने के सबसे बड़े उम्मीदवार हैं।
इन चारों ने संयुक्त तौर पर सभी देशों से आग्रह किया कि यूएन में सुधार को अब ज्यादा दिनों तक नहीं टाला जाना चाहिए। चारों देशों ने अपनी तरफ से एक लिखित प्रतिवेदन भी दायर किया है। इसके पहले स्वराज ने अमेरिका की अगुवाई में संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर बुलाई गई एक अन्य बैठक में भी हिस्सा लिया। साथ ही भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की तरफ से बनाये गये दक्षिण हिस्से में स्थित देशों की एक अलग बैठक भी हुई जिसमें यूएन में सुधार एक अहम एजेंडा रहा।
गुरुवार को ब्रिक्स देशों (भारत, ब्राजील, रुस, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के विदेश मंत्रियों की एक अलग बैठक हुई। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि रूस और चीन ने संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा स्वरूप में बदलाव और ब्रिक्स के शेष तीन देशों ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और भारत की बड़ी भूमिका निर्धारित करे की मांग की गई है। रूस और चीन दोनो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं।
वैसे ब्रिक्स के बाहर भारत की सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य बनाने के मुद्दे पर चीन का रुख अभी तक नकारात्मक है। स्थाई परिषद के शेष चारों सदस्य भारत की दावेदारी के पक्षधर हैं लेकिन चीन की वजह से यूएन में सुधार नहीं हो पा रहा।
यूएन के नये महासचिव एंटोनियो गुएटर्स ने कहा है कि उनके कार्यकाल के दौरान यूएन को 21वीं सदी के मुताबिक बनाने पर जोर होगा। हाल के दिनों में अमेरिका ने भी साफ संकेत दिए है कि वह इसके पक्ष में है।
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