म्यांमार को हथियारों की आपूर्ति करने पर विचार कर रहा भारत
इससे पहले 2013 में भी भारत ने म्यांमार को हथियार देने की पेशकश की थी, लेकिन उसके बाद फोकस समुद्री रिश्ते मजबूत करने पर हो गया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ की जा रही सैन्य कार्रवाई को लेकर म्यांमार सरकार की पूरे विश्व में आलोचना हो रही है, लेकिन भारत ने इससे इतर हटकर म्यांमार को हथियारों की आपूर्ति करने का फैसला लिया है। वहां के नौसेना प्रमुख टिन आंग सैन के दौरे पर कई मुद्दों पर बातचीत हुई, जिसमें पड़ोसी देश के नाविकों को प्रशिक्षण देने का फैसला भी हुआ। इन्हें भारत के बेहतरीन रक्षा संस्थानों में सैन्य कार्रवाई का प्रशिक्षण मिलेगा।
म्यांमार के नौसेना प्रमुख टिन आंग सैन ने बुधवार को भारत दौरे पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा तीनों सेनाओं के प्रमुखों से मुलाकात भी की थी। इस दौरान वह मुंबई भी गए, जहां जहाजों का निर्माण किया जाता है। उनका चार दिवसीय दौरा गुरुवार को खत्म होने जा रहा है।
इस दौरान उनकी भारत के साथ गश्ती नौकाओं की आपूर्ति को लेकर भी चर्चा हुई। इससे पहले 2013 में भी भारत ने म्यांमार को हथियार देने की पेशकश की थी, लेकिन उसके बाद फोकस समुद्री रिश्ते मजबूत करने पर हो गया। अब उम्मीद है कि दोनों देश बंगाल की खाड़ी में मिलकर निगरानी करेंगे। इस क्षेत्र में चीनी प्रभाव को कम करने के लिए ये रणनीति बनी है।
उल्लेखनीय है कि भारत की ईस्ट लुक पॉलिसी में म्यांमार की बेहद अहम भूमिका है। भारत का चीन के साथ विवाद चल रहा है और ऐसे में सरकार पड़ोसी देश के साथ मजबूत संबंध कायम करना चाहती है। भारत ने म्यांमार की सरकार की कार्रवाई का हर जगह समर्थन किया है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बाद भारत ने इस बात पर दुख जताया कि हजारों की तादाद में रोहिंग्या बांग्लादेश में जाकर शरण ले रहे हैं।
उधर, चीन भी भारत की तरह से म्यांमार सरकार का समर्थन करने की नीति पर चल रहा है। चीनी विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस से कहा भी कि अपने देश की संप्रभुता की रक्षा करना कोई गलत काम नहीं है और म्यांमार की सरकार ऐसा ही कर रही है। हालांकि इस बीत अंतराष्ट्रीय दबाव म्यांमार सरकार पर बरकरार है। ब्रिटेन ने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्थगित करने की चेतावनी तक दे दी है।
दिल्ली स्थित आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के के. योह्मे का कहना है कि अंतराष्ट्रीय दबाव के बीच नौसेना प्रमुख का सत्कार इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत वहां की सरकार को राखिन मामले में समर्थन दे रहा है।
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