भारत ने बदली आतंकवाद के खिलाफ अपनी डॉक्टरीन
उड़ी आतंकी हमले के जवाब में पीओके में हुई सर्जिकल सैन्य कार्रवाई ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की भारत की नीति को पहली बार वास्तविक रुप में परिभाषित किया है।
नई दिल्ली, (संजय मिश्र)। एलओसी पार कर पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी लांच पैड पर हमला कर भारत ने पाकिस्तानी फौज के मुकाबले रणनीतिक बढ़त हासिल तो की ही है। इस सर्जिकल कार्रवाई के साथ ही भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जंग की नई सख्त डॉक्टरीन की पहली झलक से पाकिस्तान ही नहीं दुनिया को भी रूबरू करा दिया है। इस डॉक्टरीन में पाकिस्तान के लिए संदेश साफ है कि सीमा पार से होने वाले आतंकी हमले को युद्ध के समान मानते हुए भारत उसका माकूल जवाब देने के लिए जरूरी हुआ तो सीमा पार करने से भी परहेज नहीं करेगा।
उड़ी आतंकी हमले के जवाब में पीओके में हुई सर्जिकल सैन्य कार्रवाई ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की भारत की नीति को पहली बार वास्तविक रुप में परिभाषित किया है। तीन दशक से आतंकवाद के गहरे जख्म से सिसकने के बावजूद भारत ने इसे देश पर युद्ध के समान कभी नहीं लिया था। 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद भारतीय सेनाओं को युद्ध मोर्चे के लिए सीमा पर तैनाती और 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद गंभीर तनाव के बाद भी किसी तरह की जवाबी कार्रवाई नहीं हो पायी थी। इन दोनों गंभीर हालातों के बावजूद भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई नहीं करने के अनुभव को देखते हुए आतंकी और पाकिस्तानी फौज के उनके हुक्मरानों ने शायद ही सोचा होगा कि उड़ी हमले का भारत इस नए आक्रामक अंदाज में जवाब देगा।
सरकार के सूत्रों से मिले संकेतों से साफ है कि सीमा पार कर सेना के स्पेशल कमांडो दस्ते की कार्रवाई से पहली बार पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ भारत के जीरो टॉलरेंस की कार्रवाई का अहसास दिलाया गया है। अमेरिका समेत दुनिया के प्रमुख राष्ट्रों ने भारत की सर्जिकल कार्रवाई का जिस तरह चुप रहते हुए रणनीतिक समर्थन किया है, वह इस बात को दर्शाता है कि विश्र्व बिरादरी भी यह मान रही कि उड़ी हमला आतंकवाद के खिलाफ हमारे धैर्य की अंतिम सीमा थी।
रणनीतिक सूत्रों का कहना है कि भारत की पीओके में की गई कार्रवाई पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सकारात्मक रुख से भी पाकिस्तानी फौज की सीमा पार आतंक को बढ़ावा देने की नीति को झटका लगेगा। उड़ी में भारत की कार्रवाई को मिले अमेरिका के रणनीतिक समर्थन से भी साफ है कि वाशिंगटन भी आतंकवाद पर भारत की इस नई डाक्टरीन के साथ है।
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