हिंदी के बिना भारत का विकास असंभव - वेंकैया नायडू
केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने अपने बयान में कहा कि, "हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और भारत के लिए हिंदी के बिना प्रगति करना असंभव है।"
अहमदाबाद (एएनआई)। पूरे देश में हिंदी विरोधी प्रतिक्रिया के बीच केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है और इस भाषा के बिना देश की प्रगति असंभव है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि, "हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और भारत के लिए हिंदी के बिना प्रगति करना असंभव है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में हर कोई अंग्रेजी माध्यम को प्राथमिकता देता है। मैं अंग्रेजों के खिलाफ हूं उनकी भाषा के खिलाफ नहीं। हमें सभी भाषा सीखनी चाहिए। लेकिन अंग्रेजी सीखना हमारी मानसिकता बन चुकी है जो गलत है इसे बदलना होगा क्योंकि यह राष्ट्र हित के खिलाफ है।"
उन्होंने आगे कहा कि लोगों के लिए उनकी मातृभाषाएं सीखना जरूरी हो गया है क्योंकि अंग्रेजी माध्यम का प्रभुत्व हमारी सांस्कृतिक विरासत पर हावी हो चुकी है। नायडु ने कहा कि, "चूंकि देश की अधिकांश आबादी हिंदीभाषी है, इसलिए हिंदी सीखना जरूरी है, लेकिन उससे पहले हमें अपनी मतृभाष सीखने की ज़रूरत है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर कोई अंग्रेजी सीखने की तरफ रुख कर रहा है क्योंकि यह रोजगार की गारंटी देता है। इसलिए मैं देश को अपनी मातृभाषा को सीखने और बढ़ावा देने की बात कहना चाहता हूं।"
दक्षिणी राज्यों में हिंदी भाषा के प्रयोग पर आशंकाओं के मद्देनजर मंत्री की टिप्पणी आई है। मालूम हो कि, कर्नाटक की जनता दल (सेक्युलर) और तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कज़गम (डीएमके) जैसी दलों ने अपने राज्यों में हिंदी अनिवार्य रुप से लागू करने की केंद्र सरकार की आलोचना की है। द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के., स्टालिन ने तो हिंदी विरोधी आंदोलन शुरू करने की धमकी तक दे दी है। बेंगलुरु में भी मेट्रो ट्रेन के साइन बोर्ड में हिंदी भाषा के इस्तेमाल पर विरोध प्रदर्शन किये जा रहे थे।
इस साल के शुरू में, संसदीय पैनल ने सांसदों और मंत्रियों द्वारा हिंदी के प्रयोग की सिफारिश की थी। सिफारिश जून 2011 में राष्ट्रपति को भेज दी गई थी जिसे राष्ट्रपति ने इस साल के शुरुआत में मंजूरी दे दी थी।
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