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एफिल टावर से भी ऊंचे रेलवे पुल पर होगा सफर का रोमांच

जिस चिनाब नदी के बहाव को देखकर लोग कांप उठते हैं, वहीं पर भारतीय इंजीनियर तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाने में जुटे हुए हैं। इसका निर्माण कार्य देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि पुल का काम अगले वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसके निर्माण से बारामूला-जम्मू रेल लिं

By Edited By: Published: Sat, 12 Jul 2014 10:03 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jul 2014 10:03 PM (IST)
एफिल टावर से भी ऊंचे रेलवे पुल पर होगा सफर का रोमांच

जागरण ब्यूरो, जम्मू। जिस चिनाब नदी के बहाव को देखकर लोग कांप उठते हैं, वहीं पर भारतीय इंजीनियर तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाने में जुटे हुए हैं। इसका निर्माण कार्य देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि पुल का काम अगले वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसके निर्माण से बारामूला-जम्मू रेल लिंक से जुड़ जाएगा और दोनों की दूरी मात्र साढ़े छह घंटे ही रह जाएगी। यह पुल कौरी क्षेत्र में दरिया चिनाब पर बन रहा है। इसके बनने के बाद कश्मीर तक रेल पहुंचाने का सपना पूरा हो पाएगा।

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इसका निर्माण कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन करवा रहा है। हालांकि पुल का निर्माण वर्ष 2002 में ही शुरू हो गया था, लेकिन विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इसके निर्माण कार्य में कई बाधा आई। यह पुल 339 मीटर अर्थात 1,177 फुट ऊंचा है, जो जापान में बने अबतक के सबसे ऊंचे पुल से भी ऊंचा होगा। यही नहीं, एफिल टावर से भी इस पुल की ऊंचाई 35 मीटर अधिक होगी।

भारतीय इंजीनियरों के लिए यह काम चुनौतीपूर्ण है, लेकिन वह इसे पूरा करने में जुटे हुए हैं। रेलवे अधिकारियों को उम्मीद है कि पुल का काम वर्ष 2016 के अंत तक पूरा हो जाएगा, लेकिन अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगा। इस पुल के निर्माण कार्य में जुटे एक इंजीनियर का कहना है कि निर्माण में कई समस्याएं आती हैं। दरिया में पानी के बहाव को कम किए बगैर काम करना पड़ता है। इसमें कई सामान ऐसा है जो हेलीकॉप्टर के माध्यम से इस हिमालयन क्षेत्र में पहुंचाया गया है। संपर्क मार्ग ही नहीं है।

1,315 मीटर लंबे इस पुल को बनाने के लिए 25 हजार टन स्टील का इस्तेमाल हो रहा है। पुल की नींव तक पहुंचने के लिए पहले संपर्क मार्ग बनाए गए हैं। इस पर 9.2 करोड़ डालर का खर्च आने का अनुमान है।

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