Move to Jagran APP

छह दशक बाद मनाया आजादी का जश्न

भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक सीमा समझौता शुक्रवार रात से लागू हो गया। इसके तहत भारत में मौजूद 111 सीमांत एनक्लेव बांग्लादेश में चले गए और बांग्लादेश के 51 एनक्लेव भारत का हिस्सा बन गए। दोनों देशों के बीच बस्तियों की इस अदला-बदली ने यहां के लगभग 51 हजार

By Sachin kEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 01:29 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 08:12 AM (IST)
छह दशक बाद मनाया आजादी का जश्न

जागरण न्यूज नेटवर्क, कोलकाता। भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक सीमा समझौता शुक्रवार रात से लागू हो गया। इसके तहत भारत में मौजूद 111 सीमांत एनक्लेव बांग्लादेश में चले गए और बांग्लादेश के 51 एनक्लेव भारत का हिस्सा बन गए। दोनों देशों के बीच बस्तियों की इस अदला-बदली ने यहां के लगभग 51 हजार लोगों को पहली बार किसी देश का नागरिक होने का अहसास कराया है।1947 में देश विभाजन के बाद से नागरिकता के लिए तरस रहे लोगों ने इस मौके पर आजादी का जश्न मनाकर अपनी खुशी का इजहार किया।

loksabha election banner

शुक्रवार की रात घड़ी में 12 बजते ही भारत में शामिल हुए गांवों के लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। उन लोगों ने तिरंगा फहराया और खुशी से नाचने-गाने लगे। हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के निधन पर राष्ट्रीय शोक की घोषणा होने से सरकार की ओर से किसी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया।

हमारे लिए दूसरी आजादी
भारत में शामिल होने वाले सभी 51 गांव पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले में हैं। मध्य मशालदंगा एनक्लेव में तिरंगा लेकर घूम रहे एक 18 वर्षीय किशोर ने कहा कि हमारे लिए यह दूसरी आजादी जैसी है। भारत ने भले ही 1947 में आजादी हासिल की होगी, लेकिन हम तो अब आजाद हुए हैं। अब हम भी किसी देश के नागरिक हैं। अब से हमें भी भारतीय कहा जाएगा।

14 हजार बढ़ी देश की आबादी
बांग्लादेश से सीमा समझौता लागू होने के साथ ही देश की आबादी 14 हजार बढ़ गई है। भारत से जुडऩे वाले बांग्लादेशी गांवों में से किसी ने भी स्वदेश लौटने की इच्छा जाहिर नहीं की है। जबकि बांग्लादेश के खाते में जाने वाले भारतीय 111 गांव के 1,050 बाशिंदों ने घर-बार छोड़कर भारत में बसने का फैसला किया है। शुरुआत में यह संख्या 1,700 के करीब थी। लेकिन पुश्तैनी जमीन और स्थानीय आबोहवा से लगाव के चलते 550 लोगों ने अपना विचार बदल दिया। दोनों देशों के लोगों की अदला-बदली एक नवंबर से 30 नवंबर तक होगी।

भारत को फायदा
- आतंकी घुसपैठ और अवैध प्रवासियों का आव्रजन रोकने में इससे मिलेगी मदद
- द्विपक्षीय व्यापार में होगा इजाफा, नशीले पदार्थ-अवैध वस्तुओं की तस्करी पर लगेगी लगाम

अदला-बदली पर एक नजर
-भारत अपने क्षेत्र के 111 एनक्लेव बांग्लादेश को सौंपेगा। इन बस्तियों का क्षेत्रफल 17,160 एकड़ है।
-भारत को बांग्लादेश से 51 गलियारा मिलेगा। इसके तहत भारत को 7,110 एकड़ भूमि प्राप्त होगी।

दशकों से नहीं था कोई देश
-इन बस्तियों में रहने वाले तकरीबन 51 हजार लोगों के पास दशकों से कोई देश नहीं था।
-यहां के लोगों को अब अपनी पसंद के हिसाब से नागरिकता हासिल हो सकेगी।
-भारतीय सीमा में मौजूद 51 बांग्लादेशी एनक्लेव के लोगों ने यहीं रहने का फैसला किया है।
-बांग्लादेश स्थित भारतीय एनक्लेव के 979 लोग भारतीय सीमा में आएंगे। इनमें से 163 मुसलमान हैं।

1974 में हुआ था समझौता
एनक्लेव का यह आदान-प्रदान इसी साल छह जून को ढाका में भारत और बांग्लादेश के बीच एक करार पर दस्तखत के बाद हो रहा है। हालांकि, मूल रूप से भूमि समझौता 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बांग्लादेशी समकक्ष शेख मुजीब के बीच हुआ था। 1975 में मुजीब की हत्या के बाद लंबे अरसे तक करार पर प्रगति रुकी रही। बाद की सरकारें बस्तियों के आदान-प्रदान पर सहमत नहीं हो पाईं।

बदहाल था जीवन
इन बस्तियों में रहनेवाले लोग जन सुविधाओं से वंचित थे और काफी खराब हालत में जीवन व्यतीत कर रहे थे। करार होने के बाद यहां रहनेवाले लोगों को अपना देश चुनने की आजादी दी गई। पिछले महीने दोनों देशों के अधिकारियों ने साझा अभियान चलाकर इन इलाकों में रहनेवाले एक-एक आदमी से उनकी नागरिकता के बारे में राय मांगी। उनकी इच्छा के आधार पर उन्हें भारत या बांग्लादेश में रहने की इजाजत दी गई।

पढ़ेंः कोमेन ने बंगाल में बरपाया कहर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.