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एनडीए शासन में बढ़ीं सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं: रिपोर्ट

सुशासन और विकास करने का वादा कर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। आम जनता ने नरेंद्र मोदी पर विश्‍वास किया और उन्‍हें पूर्ण बहुमत दिया। ऐसे में उम्‍मीद की जा रही थी कि देश में अब सुशासन होगा और विकास की लहर चलेगी। लेकिन क्‍या ऐसा हुआ है,

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 26 Feb 2015 10:10 AM (IST)Updated: Thu, 26 Feb 2015 12:34 PM (IST)
एनडीए शासन में बढ़ीं सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं: रिपोर्ट

नई दिल्ली। सुशासन और विकास करने का वादा कर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। आम जनता ने नरेंद्र मोदी पर विश्वास किया और उन्हें पूर्ण बहुमत दिया। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि देश में अब सुशासन होगा और विकास की लहर चलेगी। लेकिन क्या ऐसा हुआ है, मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल की मानें तो मोदी सरकार के कार्याकाल के दौरान देश में सांप्रदायिक हिंसाओं में इजाफा हुआ है।

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एमनेस्टी इंटरनेशनल की वार्षिक रिपोर्ट में मोदी सरकार की काफी आलोचना की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में एनडीए सरकार के शासन के में सांप्रदायिक हिंसाएं बढ़ गई हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा में बढ़ोतरी हुई। सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र करते हुए कहा गया है, 'चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक घटनाएं हुईं। इससे वहां पूरे क्षेत्र में तनाव पैदा हो गया। मोदी सरकार के दौरान नेताओं की जुबान भी बेलगाम रही है, कुछ नेताओं पर भी भड़काऊ भाषण देकर हिंसा भड़काने की कोशिश के आरोप लगे हैं।

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एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता। यह रिपोर्ट सोचने पर मजबूर करती है। दरअसल, पिछले साल के अंत में हिंदू संगठनों पर कई मुस्लिम और ईसाइयों को जबरन हिंदू धर्म में शामिल करने का भी आरोप लगा। हाल ही में दिल्ली के एक क्रिश्चन स्कूल में घुसकर कुछ अज्ञात लोगों ने तोड़फोड़ की और पैसे भी चुरा लिए। धर्मांतरण के मुद्दे पर हिंदूवादी नेता पीछे हटने का तैयार नहीं है। ऐसे में मोदी सरकार को अपनी बिगड़ती छवि को ठीक करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे।


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