कलाम की इच्छा थी, नेता कानून का आदर करें
देश के मिसाइल मैन कलाम ने अपनी किताब 'पाथवेज टु ग्रेटनेस' को अपने देहांत से चार महीने पहले यानी मार्च 2015 में पूरा कर लिया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी अंतिम किताब में देश हित में कुछ इच्छाएं और चिंताएं जताई हैं। वह चाहते थे कि राजनेता कानून तोड़ना और सत्ता का दुरुपयोग करना छोड़ दें। पुराने और असंगत कानूनों की मौजूदगी और हिंसा के जरिए असहिष्णुता के भाव जाहिर होने से भी वह व्यथित थे।
देश के मिसाइल मैन कलाम ने अपनी किताब 'पाथवेज टु ग्रेटनेस' को अपने देहांत से चार महीने पहले यानी मार्च 2015 में पूरा कर लिया था। अब इस किताब को हार्पर कालिंस इंडिया ने प्रकाशित कराया है जो बाजार में अगले महीने आ जाएगी। इस किताब में कलाम ने मानव जीवन को बेहतर बनाने के उपायों का विश्लेषण किया है। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि नेताओं को देश के लिए एक दृष्टिकोण अपनाकर और विकासात्मक राजनीति का हिस्सा बनकर सभ्य समाज के लिए उदाहरण पेश करना चाहिए। राजनेताओं को देश के कानून का आदर करने की जरूरत है।
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साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि राजनीतिक सत्ता का उपयोग वह अपने फायदे के लिए नहीं करेंगे। उन्होंने कानूनों का सरल बनाने की भी जरूरत बताई। उन्होंने सुझाव दिया कि एक ऐसी प्रणाली विकसित की जाए जिसमें न्याय का निस्तारण जल्द और निष्पक्ष हो। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली को औपचारिक और अनौपचारिक तरीकों से कानूनी शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। विशेष रूप से ग्रामीण समुदाय को इससे जोड़ना चाहिए। उन्होंने लोगों को लोकतंत्र के निर्बाध कामकाज के लिए लोगों के बीच मिलजुलकर काम करने की कार्यसंस्कृति विकसित करनी चाहिए। दूसरों के विचारों के प्रति बढ़ती असहिष्णुता अब जीने का तरीका बन गया है। इस असहिष्णुता को लोग हिंसा पर उतारू होकर जाहिर कर रहे हैं। इसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता।
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