करप्शन में कर्नाटक टॉप पर, नीतीश राज में बिहार में कम हुआ भ्रष्टाचार
कभी बिहार भ्रष्टाचार के मामले में टॉप सूची में शामिल था। इस वर्ष आई सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक सबसे टॉप लिस्ट में शामिल है और बिहार में भ्रष्टाचार घटा है।
पटना [जेएनएन]। भ्रष्टाचार के मामले में कभी बिहार को बदनाम किया जाता था। लेकिन इस वर्ष घूसखोरी के आधार पर तैयार एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक देश का सबसे भ्रष्ट राज्य है। इसके बाद आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार दर्ज किया गया है।
करप्ट प्रदेशों की टॉप सूची में शामिल था बिहार
2005 में बिहार देश के सर्वाधिक करप्ट प्रदेशों की टॉप सूची में शामिल था। 2005 में ही नीतीश कुमार ने सत्ता पर काबिज राजद को परास्त कर चुनाव जीते और सत्ता में आए, तब भाजपा भी साथ थी। नीतीश कुमार ने अपनी प्राथमिकताओं में भ्रष्टाचार पर अंकुश को शामिल किया था।
नीतीश कुमार ने हमेशा यह बात जोर देकर कही कि भ्रष्टाचार किसी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे। न्याय सबके लिए एक समान है और आज की बात करें तो देशव्यापी सर्वे में भ्रष्टाचार के मामले में बिहार निचले पायदान की ओर बढ़ा है। मतलब साफ है कि 2005 की तुलना में 2017 में बिहार में भ्रष्टाचार बहुत कम हो गया है।
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने गुरुवार को नई दिल्ली में रिपोर्ट जारी किया है जिसमें भ्रष्टाचार के देशव्यापी स्तर को जानने के लिए 20 प्रदेशों में सर्वे किया था, जिसमें यह बात सामने आई है कि पूरे देश में भ्रष्टाचार का प्रतिशत गिरा है।
इस सर्वे में 20 प्रदेशों के शहरी और ग्रामीण परिवेश के 3000 हाउसहोल्ड्स को शामिल किया गया था। निष्कर्ष यह निकला कि 2005 में इन प्रदेशों के लोगों ने पब्लिक सर्विसेज को हासिल करने को जहां 20500 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी,वहीं 2016 में मात्र 6350 करोड़ रुपये दिए गए।
बिहार में भ्रष्टाचार बहुत कम हुआ
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में देश के टॉप फाइव करप्ट स्टेट पब्लिक सर्विसेज के मामले में कर्नाटक (77 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (74 प्रतिशत), तमिलनाडु (68 प्रतिशत), महाराष्ट्र (57 प्रतिशत), जम्मू – कश्मीर (44 प्रतिशत) और पंजाब (42 प्रतिशत) है।
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की रिपोर्ट के मुताबिक 2005 में 74 प्रतिशत के साथ बिहार देश का सबसे करप्ट प्रदेश था। बिहार के पीछे जम्मू-कश्मीर (69 प्रतिशत), ओड़ीसा (60 प्रतिशत), राजस्थान (59 प्रतिशत) व तमिलनाडु (59 प्रतिशत) थे।
वहीं, 2017 में बिहार के पब्लिक सर्विसेज में भ्रष्टाचार का प्रतिशत 26 पाया गया है। अर्थ यह कि 2005 की तुलना में बिहार में 48 प्रतिशत करप्शन कम हो गया है।
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ये हैं सबसे कम भ्रष्ट प्रदेश
साल 2017 की रिपोर्ट में देश के सबसे कम भ्रष्ट प्रदेशों की सूची में हिमाचल प्रदेश (3 प्रतिशत), केरल (4 प्रतिशत), और छत्तीसगढ़ (13 प्रतिशत) है। 2005 की रिपोर्ट में देश के सबसे कम भ्रष्ट प्रदेश थे – केरल (35 प्रतिशत), महाराष्ट्र (39 प्रतिशत) व गुजरात (43प्रतिशत)
नीति आयोग के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की 11वीं इंडिया करप्शन स्टडी-2017 रिपोर्ट में कहा गया है कि इन राज्यों में सार्वजनिक सेवाओं के लिए जनता को घूस देना पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में करीब एक तिहाई लोगों ने माना कि पिछले साल उन्हें कहीं न कहीं रिश्वत देनी पड़ी।
सर्वेक्षण में गांव और शहरी क्षेत्र के 3,000 लोगों की राय ली गयी। इनमें से आधे से अधिक ने माना कि नोटबंदी के दौरान घूूसखोरी में कमी आयी थी। रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि 20 राज्यों के लोगों ने 10 सार्वजनिक सेवाओं के लिए 6,350 करोड़ रुपये की रिश्वत 2017 में दी। वर्ष 2005 में लोगों ने 20,500 करोड़ रुपये रिश्वत दी थी। इस साल कराये गये अध्ययन में 53 फीसदी लोगों ने रिश्वत देने की बात कबूल की थी।
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देश में घट रहा है भ्रष्टाचार
सरकारी काम कराने के लिए दिये जानेवाले घूसों के आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में भ्रष्टाचार घट रहा है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। पिछले साल 31% लोगों को स्कूल, अदालत, बैंक या अन्य कामों के लिए 10 रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक की रिश्वत देनी पड़ी। 2005 में 53% लोगों को रिश्वत देनी पड़ती थी। यानी भ्रष्टाचार में 22 फीसदी की कमी आयी है।
कहां, कितने लोगों ने दी रिश्वत
कर्नाटक 77.0 फीसदी
आंध्रप्रदेश 74.0 फीसदी
तमिलनाडु 68.0 फीसदी
हिमाचल प्रदेश 03.0 फीसदी