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आइएस, अलकायदा के सामने आइएम-सिमी के खतरे गौण

आइएस और अलकायदा की बढ़ती धमक के सामने इंडियन मुजाहिदीन, सिमी, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे छोटे आतंकी संगठनों के खतरे गौण हो गए हैं। शायद यही कारण है कि गुवाहाटी में होने वाले पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन के एजेंडे में नक्सली समस्या के बाद सिर्फ आइएस और अलकायदा के

By anand rajEdited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 10:21 AM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 10:37 AM (IST)
आइएस, अलकायदा के सामने आइएम-सिमी के खतरे गौण

नई दिल्ली (नीलू रंजन)। आइएस और अलकायदा की बढ़ती धमक के सामने इंडियन मुजाहिदीन, सिमी, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे छोटे आतंकी संगठनों के खतरे गौण हो गए हैं। शायद यही कारण है कि गुवाहाटी में होने वाले पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन के एजेंडे में नक्सली समस्या के बाद सिर्फ आइएस और अलकायदा के बढ़ते खतरे को शामिल किया गया है।

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दिल्ली के बाहर पहली बार हो रहे इस सालाना सम्मेलन को गृह मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संबोधित करेंगे। सम्मेलन का उद्घाटन 29 नवंबर को राजनाथ करेंगे। इसके बाद इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) की ओर से देश की मौजूदा आंतरिक स्थिति पर एक रिपोर्ट पेश की जाएगी और नक्सल समस्या व उससे निपटने के तरीके पर विस्तार से विचार किया जाएगा। नक्सल समस्या के बाद इस्लामिक स्टेट (आइएस) और अलकायदा के भारत में खतरे और युवाओं के बीच घुसपैठ बढ़ाने की इनकी कोशिशों पर चर्चा होगी। दोनों आतंकी संगठन भारत में पैर जमाने के लिए युवाओं में कट्टरता फैलाने की साजिश कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सम्मेलन में युवाओं में कट्टरता रोकने और उन्हें जिहादी विचारधारा से बचाने के उपायों पर भी चर्चा होगी। आइएस भारत के युवाओं से इराक और सीरिया की लड़ाई में शामिल होने की लगातार अपील कर रहा है, वहीं अलकायदा ने भी अपनी भारतीय शाखा खोलने का एलान कर अपने आतंकी मंसूबे साफ कर दिए हैं। इससे पहले के सभी डीजीपी सम्मेलनों के एजेंडे में अहम स्थान रखने वाले इंडियन मुजाहिदीन, सिमी, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन का जिक्र तक नहीं है। अभी तक भारत में होने वाले सभी आतंकी हमलों में कमोवेश इन्हीं संगठनों का नाम आता रहा है।

जम्मू कश्मीर भी एजेंडे से बाहर

इस बार सम्मेलन के एजेंडे में जम्मू-कश्मीर भी शामिल नहीं है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आंतरिक सुरक्षा की हालत पर रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर की चर्चा जरूर होगी। चूंकि सम्मेलन गुवाहाटी में हो रहा है, इसलिए पूर्वोत्तर भारत में अलगाववाद और आतंकवाद की स्थिति को एजेंडे में शामिल किया गया है।

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