आइआइटी ने भ्रष्टाचार उजागर करने वाले प्रोफेसर का इस्तीफा मंजूर किया
कुमार ने 2014 में पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन आइआइटी-खड़गपुर ने मामला कोर्ट में लंबित होने की बात कह कर इसे स्वीकार नहीं किया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। आइआइटी-खड़गपुर ने भ्रष्टाचार उजागर करने वाले प्रोफेसर राजीव कुमार का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पद से हटने से पहले प्रोफेसर की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा के आदेश को खारिज कर दिया था।
कुमार ने 2014 में पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन आइआइटी-खड़गपुर ने मामला कोर्ट में लंबित होने की बात कह कर इसे स्वीकार नहीं किया था। एक आधिकारिक पत्र में कहा गया है, '(पूर्व) राष्ट्रपति और आइआइटी-खड़गपुर के विजिटर ने प्रोफेसर राजीव कुमार की अनिवार्य सेवानिवृत्ति खारिज कर दी है। संस्थान तकनीकी आधार पर दिया गया उनका इस्तीफा स्वीकार करता है।'
अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ कुमार दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे थे। हाई कोर्ट से स्टे मिलने के बाद उन्होंने दो साल का समय लेकर जेएनयू ज्वाइन कर लिया था। हालांकि आइआइटी-खड़गपुर में फिर से सेवा देने के लिए जेएनयू ने जून में उन्हें रिलीव कर दिया। कुमार ने सजा खारिज होने और इस्तीफा स्वीकार होने के बाद जेएनयू के कुलपति से पुनर्बहाल करने का आग्रह किया। इस बारे में पूछे जाने पर जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने टिप्पणी करने से मना कर दिया।
गौरतलब है कि आइआइटी-खड़गपुर ने प्रोफेसर राजीव कुमार को गलत आचरण के आरोप में मई 2011 में निलंबित कर दिया था। उसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने आइआइटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सुधार के उनके प्रयासों के लिए उनकी प्रशंसा की थी।
आइआइटी-खड़गपुर ने संस्थान की छवि बिगाड़ने के आरोप में कुमार के खिलाफ जांच समिति बनाई जिसने उन्हें दोषी पाया। 2014 में आइआइटी ने कुमार को जबरन सेवानिवृत्त करने का फैसला लिया। कुमार ने लैपटॉप खरीद में अनियमितताओं और परीक्षा में छात्रों के नकल करने के आरोप लगाए थे।
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