आइआइटी के प्रोफेसर ने तैयार किया जल व दुर्गधरहित टॉयलेट
नई दिल्ली। देश में सार्वजनिक टॉयलेट के लिए पानी की कमी और उसके कारण होने वाली दुर्गध अब पुरानी बात होगी। आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर ने इस समस्या का हल ढूंढ निकाला है। उन्होंने एक जल और दुर्गधरहित टॉयलेट तैयार किया है। इसमें पानी फ्लश करने की जरूरत नहीं होगी और इससे दुर्गध भी नहीं होगा।
नई दिल्ली। देश में सार्वजनिक टॉयलेट के लिए पानी की कमी और उसके कारण होने वाली दुर्गध अब पुरानी बात होगी। आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर ने इस समस्या का हल ढूंढ निकाला है। उन्होंने एक जल और दुर्गधरहित टॉयलेट तैयार किया है। इसमें पानी फ्लश करने की जरूरत नहीं होगी और इससे दुर्गध भी नहीं होगा।
आइआइटी के प्रोफेसर डॉ. वी एम चेरियार ने कहा कि मेरे मन में यह सवाल उठा कि आखिर हम क्यों मूत्र और उसकी दुर्गध को समाप्त करने के लिए कई लीटर पानी बहा देते हैं, जबकि इसकी जरूरत नहीं होनी चाहिए। अभी तक ऐसे पानी को पुन: काम में लाने का हमारे देश में कोई तकनीक विकसित नहीं हो सका है। हमने सोचा कि क्यों न जलरहित टॉयलेट का निर्माण किया जाए। प्रोफेसर चेरियार ने बताया कि मेरे द्वारा तैयार इस टॉयलेट के लिए पानी की जरूरत नहीं होती है और इसे घर, संस्थान और सार्वजनिक स्थानों पर लगाकर पानी और लोगों को होने वाली परेशानियों से बचाया जा सकता है।
चेरियार द्वारा तैयार किए गए चार हजार ऐसे टॉयलेट देशभर लगाए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि अभी केवल पुरुषों के इस्तेमाल वाले टॉयलेट तैयार किए गए हैं। महिलाओं के लिए ऐसे टॉयलेट इस साल नवंबर में लांच कर दिए जाएंगे।
जलरहित टॉयलेट पारंपरिक डिजायन वाले टॉयलेट जैसा है और इसके इस्तेमाल तरीका भी एक जैसा ही है। लेकिन नया एक टॉयलेट प्रति वर्ष लगभग एक लाख 70 हजार लीटर पानी की बचत करेगा।
चेरियार ने बताया कि इस टॉयलेट के लिए महंगे प्लंबिंग सामान की जरूरत नहीं होगी। ड्राइ ऑपरेशन के कारण एक-दूसरे में फैलने वाली बीमारियों से भी बचा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इसमें ऐसे उपकरण लगाए गए हैं जिसके कारण दुर्गध बिल्कुल भी नहीं होगी। चेरियर ने कहा कि देश में इस प्रकार के उपलब्ध अन्य तकनीकों की तुलना में इसकी कीमत 1/5 होगी और इसके रखरखाव पर भी ज्यादा खर्च नहीं करना होगा।
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