भारत ने कहा, संयुक्त राष्ट्र में स्थायी व अस्थायी सदस्यों में हो बढ़ोतरी
भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र स्थायी व अस्थायी सदस्यों में बढ़ोतरी होनी जरूरी है।
न्यूयार्क, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र में सुधार के अमेरिकी प्रयासों का समर्थन करते हुए भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र स्थायी व अस्थायी सदस्यों में बढ़ोतरी होनी जरूरी है। इस मसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उच्च स्तरीय बैठक की थी। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसमें शिरकत की। उल्लेखनीय है कि ट्रंप संयुक्त राष्ट्र के आलोचक रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में उनके रुख में बदलाव आया है। सोमवार को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए मंत्रणा की। उनका कहना था कि वह हमेशा से मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन अफसरों का रवैया इसमें अड़ंगा डाल रहा है। उनका कहना था कि संस्था में सुधार की बेहद जरूरत है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका ने जिस लाइन पर बात कही है, उसका भारत लंबे अर्से से पैरोकार रहा है।
भारत का मानना है कि संस्था की गतिविधियों में सुधार तभी आ सकता है जब इसके संगठनात्मक ढांचे में सुधार हो। उधर, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने बताया कि ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस के उस दृष्टिकोण का समर्थन किया है जिसमें 2030 के लिए व्यापक सुधार करने की बात पर जोर दिया गया है। गुतेरस ने कहा था कि सुरक्षा व शांति के ढांचे में आमूलचूल बदलाव की जरूरत है, जिससे ये और ज्यादा प्रभावी हो सके। उनका कहना है कि हम अपने सिस्टम को चाकचौबंद कर रहे हैं, जिससे फील्ड में ज्यादा ध्यान लगाया जा सके और वैश्वीकरण के सपने को ज्यादा सार्थक हो सके।
गौरतलब है कि सुधार के कार्यक्रम का 130 देशों ने समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि निक्की हेली का कहना है कि संस्था में कुल 193 सदस्य हैं। अभी भी तकरीबन 70 सदस्यों ने सुधार को लेकर अपनी रजामंदी नहीं दी है। उन्हें भी साथ लाने की कोशिश लगातार होनी जरूरी हैं।
पेरिस समझौता अहम: गुतेरस
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने कहा है कि पेरिस समझौता भविष्य के लिए बेहद अहम है। जिस तरह के तूफानों से लोगों को जूझना पड़ रहा है, वो एक छोटी घटना हैं। ग्लोबल वार्मिग बढ़ने से ऐसी प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिल सकती हैं, जिनका नाम भी शब्दकोष में नहीं मिलेगा। उनका कहना था कि अमेरिका इस समझौते से महज इस वजह से अलग हुआ, क्योंकि इससे वहां की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचने की संभावना थी। गुतेरस ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के मामले में चीन व भारत बेहद संवेदनशील हैं। 1995 के बाद से दोनों देशों ने कई बड़े खतरों का सामना किया है।
सारा विश्व परमाणु युद्ध से डरागुतेरस ने कहा कि उत्तर कोरिया के साथ चल रहे ताजा विवाद से लाखों लोग दहशत में हैं। उन्हें लग रहा है कि अगर युद्ध हुआ तो वह परमाणु युद्ध में तब्दील हो जाएगी। संयुक्त राष्ट्र आम सभा में उनका कहना था कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की बात सोचना भी बेहद डरावना है। उन्होंने म्यांमार में चल रहे सेना के ऑपरेशन की निंदा करते हुए कहा कि सरकार इस पर तत्काल रोक लगाए।