केंद्र सरकार ने गांधी के गढ़ से आईआईआईटी को किया बाहर, कांग्रेस ने बताया साजिश
आईआईआईटी इलाहाबाद के विस्तार परिसर के रूप में 2005 में स्थापित अमेठी परिसर को राजीव गांधी आईआईआईटी नाम दिया गया था।
नई दिल्ली। अमेठी में तीन प्रमुख औद्योगिक इकाइयों के बंद होने के बाद केंद्र सरकार ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान को भी यहां से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। तीसरे और पांचवें सेमेस्टर में पढ़ रहे इस संस्थान के 148 छात्रों के अंतिम बैच को इस सप्ताह आईआईआईटी इलाहाबाद परिसर में स्थानांतरित कर उन्हें होस्टल आवास भी प्रदान कर दिया गया है।
अमेठी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का संसदीय निर्वाचन क्षेत्र है। केंद्र के इस कदम को कांग्रेस ने राजग सरकार की साजिश करार देते हुए कहा कि केंद्र कांग्रेस के गढ़ में परेशानी खड़ा करना चाहती है।
आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक जीसी नंदी ने कहा, "फरवरी 2015 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नियुक्त इंद्रनील मन्ना समिति द्वारा किए गए एक व्यवहार्यता अध्ययन के बाद यह पाया गया कि अमेठी में पिछले एक दशक में कोई भी स्थानीय छात्र लाभान्वित नहीं हुआ। क्षेत्र में गरीब बुनियादी ढांचे की वजह से, यहां बाहरी छात्रों के लिए असुविधा पैदा हो रही थी। इस अध्ययन के बाद समिति ने सितम्बर 2015 में इस परिसर को बंद करने की सलाह दी थी।"
आईआईआईटी इलाहाबाद के विस्तार परिसर के रूप में 2005 में स्थापित अमेठी परिसर को राजीव गांधी आईआईआईटी नाम दिया गया था। कैंपस के दो हॉस्टल, गेस्ट हाउस और एक सभागार और अन्य चीजें बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम को स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों को चलाने के लिए सौंप दी जाएंगी।
आईआईआईटी अमेठी के बंद होने से कांग्रेस को मोदी सरकार पर हमला करने के लिए पर्याप्त सामग्री मिल गई है। इससे पहले मेगा फूड पार्क परियोजना, हिंदुस्तान पेपर मिल और उसके बाद वाहन अनुसंधान और सुरक्षा राष्ट्रीय केन्द्र परियोजनाओं के बंद होने के बाद 2015 में, राहुल गांधी ने मोदी सरकार के इन फैसलों को राजनीतिक बदले की भावना ठहराया था।