Move to Jagran APP

समलैंगिक संबंधों पर गंभीर है तो आइपीसी से धारा 377 हटाए सरकारः मनीष तिवारी

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने रविवार को कहा है कि उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता पी.चिंदबरम ने कुछ भी गलत नहीं कहा है। हमें खुद को किताबों और सामयिक सोशल मीडिया फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने की संस्कृति से आजाद रखने की जरूरत है। उनके मुताबिक, यदि सरकार समलैंगिक संबंधों के

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2015 10:31 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2015 01:27 PM (IST)
समलैंगिक संबंधों पर गंभीर है तो आइपीसी से धारा 377 हटाए सरकारः मनीष तिवारी

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने रविवार को कहा है कि उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता पी.चिंदबरम ने कुछ भी गलत नहीं कहा है। हमें खुद को किताबों और सामयिक सोशल मीडिया फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने की संस्कृति से आजाद रखने की जरूरत है। उनके मुताबिक, यदि सरकार समलैंगिक संबंधों के मुद्दे पर गंभीर है तो आइपीसी से धारा 377 हटाने की जरूरत है।

loksabha election banner

चिदंबरम ने शनिवार को कहा था कि सलमान रुश्दी की किताब पर बैन राजीव सरकार की गलती थी। चिदंबरम ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में इमरजेंसी (आपातकाल) लगाने के फैसले को एक गलती करार दिया था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सलमान रुश्दी की किताब "सेटेनिक वर्सेज" पर प्रतिबंध लगाने का तत्कालीन राजीव गांधी सरकार का निर्णय भी पूरी तरह से अनुचित था।

चिदंबरम, राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में गृह राज्य मंत्री (1986-89) थे। अक्टूबर 1988 में "सेटेनिक वर्सेज" पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस किताब पर प्रतिबंध लगाने वाला भारत पहला देश था।

चिदंबरम का यह बयान कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। जाहिर है, ऐसे वक्त जब मोदी सरकार पर असहिष्णुता को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए विरोधी दल राजग सरकार पर लगातार हमलावर हैं, इस स्थिति में चिदंबरम का यह बयान कांग्रेस को बैकफुट पर ला सकता है।

आपातकाल संबंधी सवाल पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 1980 में खुद यह स्वीकार किया था कि इमरजेंसी लगाकर उन्होंने गलत की है, अब अगर वह फिर से सत्ता में आईं तो आपातकाल कभी नहीं लगाएंगी। जनता ने उन पर विश्वास किया और इस प्रकार सत्ता में उनकी फिर वापसी हुई।

असहिष्णुता के मुद्दे पर वह बोले कि मेरे लिए यह गंभीर चिंता का विषय है। हमने पहले भी असहिष्णुता देखी है। हाल के दिनों में असहिष्णुता बढ़ी है। हालांकि हमने हमेशा इसे नाकाम किया है।

उनके अनुसार, जो भी व्यक्ति स्वाधीनता और लोकतंत्र में विश्वास करता है, उसे देश में बढ़ रही असहिष्णुता के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए। असमानता को बढ़ाने वाले प्रत्येक विचार के पूर्णतया खत्म होने तक आप आधुनिक उदारवादी समाज का निर्माण नहीं कर सकते।

चिदंबरम ने कहा कि आज के समय खाप पंचायतें अधिक प्रभावी व खुल्लम-खुल्ला "कंगारू जस्टिस" (न्याय के मानकों की परवाह किए बिना निर्णय देना) दे रही हैं। बहुत से प्रतिबंध लग रहे हैं। जींस पहनने से लेकर लोगों के खाने-पीने, आने-जाने के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे है। एनजीओ पर प्रतिबंध थोपे जा रहे हैं।

जानिए, किसने-क्या, कहा :

सलमान रुश्दी की किताब पर प्रतिबंध लगाना एक गलती थी। यदि आप 20 साल पहले भी मुझसे यह सवाल पूछते तो भी मेरा जवाब यही होता।

- पी. चिदंबरम
इस गलती को स्वीकार करने में पूरे 27 साल लग गए। इसको ठीक करने से पहले और न जाने कितनी गलतियां होंगी।

- सलमान रुश्दी

पढ़ेंः मोदी सरकार की कथनी-करनी में अंतर बड़ा अंतर: मनीष तिवारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.