अपग्रेड होकर मिराज ने भरी सफल उड़ान
मिराज में वायुसेना की जरुतों के मुताबिक हथियार प्रणाली, सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम लगाया गया है।
नई दिल्ली। कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले देश के लड़ाकू जेट मिराज 2000 ने अपग्रेड होने के बाद बेंगलुरु से पहली सफल उड़ान भरी। ये उड़ान लगभग 45 मिनट की थी। बता दें कि मिराज का निर्माण फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट ने किया था। लेकिन भारत की कंपनी हिन्दुस्तान एरोनेटिक्स लिमिटेड ने इसे अपग्रेड किया है। जिसके बाद मिराज सफल उड़ान भरने में सफल रहा। एचएएल ने ये काम तयशुदा वक्त में पूरा किया।
मिराज के सफल उड़ान के बाद एचएएल के चेयरमेन टी सुवर्णाराजू ने कहा कि ‘फिर से एक बार हमने वक्त पर काम को पूरा करके एचएएल की मिड लाइफ अपग्रेड करने की क्षमता को साबित कर दिया। साथ ही लड़ाकू विमानों की विश्वसनीयता और उनके रखरखाव को भी आसान बना दिया। गौरतलब है कि आठ महीने पहले हिन्दुस्तान एरोनेटिक्स लिमिटेड को उड़ान के लिये इनशिय़ल ऑपरेशनल क्लीयरेंस मिला और फिर अब फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस मिल गया।
एफओसी के बाद मिराज में वायुसेना के जरुरतों के मुताबिक हथियार प्रणाली, सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम लगाया गया है। इससे न केवल विमान की उम्र 15 से 20 साल और बढ़ गई है बल्कि उसकी लड़ाकू क्षमता भी कई गुना बढ़ गई है। वायुसेना के पास फिलहाल मिराज 2000 के दो बेड़े हैं जिसके सारे विमानों के अपग्रेड पर करीब दो अरब डॉलर का खर्च आएगा। एक बेड़े में 16 से 18 विमान होते हैं।
वायुसेना के बाद वैसे अब के करीब बेड़े हैं जिनमें से ज्यादातर विमान पुराने हो गए हैं। ऐसे में सरकार नए टेक्नोलॉजी के विमान खरीदने पर विचार कर रही है। फ्रांस के साथ भी राफेल लड़ाकू विमान की खरीद की बात चल रही है। साथ ही विमानों के घटती तादाद को देखते हुए वायुसेना के पास बस यही विकल्प बचता है कि वह पुराने विमानों को अपग्रेड करके देश की सरहद की हिफाजत करें।