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साक्षात्कारः मैं आलोचना और प्रशंसा की परवाह नहीं करता हूंः अमित शाह

नरेंद्र मोदी सरकार के दो साल हो चुके हैं और बतौर अध्यक्ष अमित शाह के दो साल पूरे होने वाले हैं। लेकिन अमित शाह कइयों के लिए अभी भी पहेली बने हुए हैं।

By Manoj YadavEdited By: Published: Sun, 29 May 2016 12:19 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2016 09:30 PM (IST)
साक्षात्कारः मैं आलोचना और प्रशंसा की परवाह नहीं करता हूंः अमित शाह

नरेंद्र मोदी सरकार के दो साल पूरे हो चुके हैं और बतौर अध्यक्ष अमित शाह के दो साल पूरे होने वाले हैं। इस बीच उन्हें खुद प्रधानमंत्री की ओर से ‘मैन आफ द मैच’ का खिताब भी मिला। बिहार व दिल्ली की करारी शिकस्त से उन पर अंगुलियां भी उठीं। पार्टी के ही भीतर कुछ नेताओं ने उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े किए और आलोचकों की ओर से उन पर मनमर्जी से पार्टी चलाने वाले अक्खड़ नेता का आरोप भी लगा लेकिन असम की जीत ने उन्हें
आलोचकों के दिलों का भी शाह बना दिया। कुछ ने खुलकर प्रशंसा की है तो कुछ अभी भी दांत भींचे बैठे हैं। शायद उन्हें उत्तर प्रदेश का इंतजार है। जो भी हो, यह स्पष्ट है कि महज तीन, साढ़े तीन साल पहले केंद्रीय राजनीति में आए शाह कइयों के लिए पहेली बने हुए हैं। अभी भी उन्हें समझने का दौर जारी है। यह दौर केवल कार्यकर्ताओं और नेताओं में ही नहीं बल्कि मीडिया के अंदर भी चल रहा है। ऐसे में शाह ने दैनिक जागरण के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक प्रशांत मिश्र और उप ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से लंबी बात की। पेश हैं उसके कुछ अंश:

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’पार्टी अध्यक्ष के नए कार्यकाल की शुरुआत में ही आपको असम के रूप में बहुत बड़ी जीत मिली। यह जीत आपके लिए व्यक्तिगत दृष्टि से कितनी अहम है?

- व्यक्तिगत की तो बात ही नहीं है। व्यक्तिगत नफे नुकसान के लिए भाजपा में सोचने का रिवाज भी नहीं रहा है लेकिन राजनीतिक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में इस जीत का खास अर्थ है। सबसे पहले असम देश के बाकी हिस्सों से काफी अलग है। काफी गरीब लोग रहते हैं। उन्हें विकास चाहिए और पिछले दो साल में नरेंद्र मोदी सरकार ने जिस तरह गरीबी उन्मूलन और समाज के पिछड़े वर्गों के लिए काम किया है उसके कारण वहां की जनता भाजपा की ओर से देख रही थी। असम एक सीमांत प्रांत है और सुरक्षा के लिहाज से वहां भाजपा का सत्ता में आना अहम है। राजनीतिक दृष्टि से यह इसलिए अहम है क्योंकि पहली बार हम उत्तर पूर्व में पहुंचे हैं। अब हम कह सकते हैं कश्मीर से कन्याकुमारी तक और कच्छ से कामरूप तक भाजपा को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत के रूप में भाजपा को स्थापित करने का काम समाप्त हो गया है। पूर्व से पश्चिम
और उत्तर से दक्षिण तक भाजपा हर बड़े राज्य में एक राजनीतिक ताकत है और नरेंद्र मोदी सरकार को जिस तरह जनादेश दिया था उसी तरह जनता उनके कामकाज को समर्थन दे रही है। असम की जीत उसका परिचायक है।

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’मैंने व्यक्तिगत महत्व की बात इसलिए पूछी थी क्योंकि आलोचक भी अब आपके प्रशंसक हो गए हैं। वे मान रहे हैं कि आपने भाजपा को सच्चे अर्थों में अखिल भारतीय पार्टी बनाया है? क्या आप में कोई बदलाव आया है?

- (थोड़ा रुककर) मैं नहीं मानता कि आलोचना भी मेरी व्यक्तिगत होती है और प्रशंसा भी। इसकी मीमांसा करने का मेरे लिए कोई मतलब भी नहीं है। पार्टी ने मुझे दायित्व दिया है पार्टी के काम को देश के हर कोने में पहुंचाना। सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार बहुत अच्छा काम रही है तो जनता और सरकार के बीच समन्वय रखते हुए काम को नीचे तक पहुंचाने का दायित्व भी मेरा है। मैं वही कर रहा हूं। जनता उन कामों के प्रति आश्वस्त है। मेरे लिए इतना ही बहुत है। मुझे लगता है कि पार्टी अध्यक्ष का पूरा ध्यान भी इसी पर केंद्रित रहना चाहिए न कि
यह सोचना चाहिए कि कौन आलोचना कर रहा है।

’यह सवाल इसलिए है क्योंकि कहा जाता है कि स्वभाव से अमित शाह बहुत कड़क थे लेकिन दूसरे कार्यकाल में उनके चेहरे पर मुस्कुराहट रहती है।

- (ठठा कर हंसते हुए) मैं नहीं मानता कि मेरे स्वभाव में कोई बहुत बड़ा अंतर हुआ है। हो सकता है कि लोगों की सोच में परिवर्तन आया हो, इसलिए बदलाव दिखने लगा है।

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’पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए बहुत उर्वरक जमीन दिख रही है। लेकिन केंद्र में आपके सामने मजबूरियां हैं और कहीं न कहीं दोस्ती करने और विपक्षी बने रहने की अंदरूनी खींचतान है..?

-यह आपकी सोच है। भाजपा संघीय ढांचे को मजबूत रखने की हमेशा पक्षधर रही है। इसी नीति के तहत जो भारत सरकार का दायित्व होता है वह पूरा करती है। हम नकारात्मक राजनीति नहीं करते। पार्टी की जिम्मेदारी है कि वह अपनी विचारधारा और काम को लेकर संगठन मजबूत करे। पश्चिमबंगाल चुनाव में हम तृणमूल सरकार के खिलाफ लड़े। जनता ने हमें समर्थन भी दिया। राजग छह सीटें जीता है और भी जीत सकते थे। वहां हमारा
संघर्ष जारी रहेगा।

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’उत्तर प्रदेश आपके लिए बड़ी चुनौती है। उससे निपटने की कोई रणनीति तय की है?

- उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा सूबा है और इसीलिए यह भी सच्चाई है कि जब तक वहां विकास की दिशा ठीक नहीं होगी, देश में विकास की गति तेज नहीं हो सकती। असम छोटा प्रदेश है, उसने भाजपा को चुन लिया। उत्तर प्रदेश में बदलाव की चाह और तेज है। जनता ने मोदी जी के कामकाज को देखा है। जिस तरह हम गांव-गांव बिजली पहुंचा रहे हैं, सड़क निर्माण की गति तेज हुई है, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार लाने में जुटे हैं वह सबकुछ जनता की नजरों में है। कभी आप उत्तर प्रदेश घूमकर आइए तो समझेंगे कि जनता में कितना रोष है। हमारा संगठन मजबूत है और तैयारी भी पूरी है। मुझे भरोसा है कि हम बहुत बड़े मार्जिन से जीतेंगे।

’आपने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का मुकाबला समाजवादी पार्टी से है। लेकिन बसपा के पास अपना कमिटेड वोट बैंक रहा है। उसे नजरअंदाज करना उचित है..?

- (सवाल बीच में काटते हुए) लोकसभा चुनाव परिणामों ने बता दिया था कि बसपा की क्या हैसियत है। मेरा स्पष्ट मानना है कि प्रदेश की जनता को सपा और भाजपा में से सरकार चुननी है। बसपा को वोट देने से प्रदेश की सूरत नहीं बदलने वाली है। सपा और बसपा दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ..और आप जिस कमिटेड वोटबैंक
की बात कर रहे हैं वह लोकसभा चुनाव में बसपा से खिसक चुका है। इसीलिए मैंने कहा कि सरकार भाजपा की ही बनेगी।

’आप तो विकास के मुद्दे की बात कर रहे हैं परंतु जिस तरह एक उग्र्र हिंदूवादी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया उससे तो यह संकेत गया है कि भाजपा की नजरों में विकास के अलावा भी कुछ और है?

- केशव प्रसाद मौर्य अच्छे और सुलझे नेता हैं। पिछड़े समाज का नेतृत्व करते हैं और समाज के बीच रहते हैं। बड़े मार्जिन से जीतकर लोकसभा में आए हैं। मुझे लगता है कि उन्हें अलग दृष्टि से देखना सही नहीं होगा।

’अध्यक्ष पिछड़े वर्ग से चुना है तो क्या मुख्यमंत्री चेहरा अगड़ी जाति से होगा?

- मौर्य पिछड़ी जाति से हैं इसलिए उन्हें अध्यक्ष चुना गया है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। वे अच्छे कार्यकर्ता हैं। रही बात मुख्यमंत्री उम्मीदवार की तो हमारे लिए सारे विकल्प खुले हैं, संसदीय बोर्ड ने अभी कोई फैसला नहीं किया है।

’लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी से अपना पर्चा भरा था और कार्यकर्ताओं में जोश दिखा था। अब विधानसभा चुनाव से पहले आप प्रयाग में कार्यकारिणी का आयोजन कर रहे हैं.?

- इसमें गलत क्या है। हम अगर इलाहाबाद में कार्यकारिणी आयोजित करने जा रहे हैं तो आगे पीछे कुछ जोड़कर देखना तो सही नहीं है। अगर आप पुरानी लहर को पैदा करने वाली बात पूछना चाहते हैं तो लोकसभा चुनाव वाली लहर खत्म हुई कहां है? जनता के बीच मोदी जी और भाजपा के लिए वही पुराना उत्साह बरकरार है। दो दिन पहले सहारनपुर में मोदी जी थे, हर किसी ने देखा कि जनता किस तरह उनके कामकाज से प्रभावित है। हर चुनाव एक चुनौती है और उस लिहाज से हम तैयारी भी करते हैं। इलाहाबाद उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर है और हम वहां कार्यकारिणी आयोजित करने जा रहे हैं। संगठन और राजनीति पर चर्चा होगी लेकिन यह न मानिए कि कोई लहर कम हो गई है और इसीलिए हम प्रयाग जा रहे हैं। कोई राजनीतिक दल भी ऐसा सोच रहा है तो यह उसकी गलतफहमी है।

’लोकसभा चुनाव के वक्त अमित शाह उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे और नंबर मिले थे 95 फीसद। विधानसभा चुनाव में वह कितने नंबर पाने का भरोसा रखते हैं?

- कितनी सीटें जीतते हैं और लोकसभा चुनाव की तुलना में प्रदर्शन क्या होगा इसका प्रतिशत निकालना ठीक नहीं है। लेकिन प्रदेश इकाई की जो तैयारी है उससे स्पष्ट आकलन लगा सकता हूं कि भारी बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनेगी।

’संगठन की तैयारी से आप संतुष्टि जता रहे हैं लेकिन गुटबाजी का क्या करेंगे?

- (हंसते हुए) लोकसभा चुनाव से तो कम है। संगठन मजबूत हुआ है।

’ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर अगड़ी जाति से नेतृत्व खड़ा कर आपके लिए लड़ाई कठिन बनाने वाले हैं। आप क्या कहेंगे?

- कांग्रेस क्या करती है यह मुझे पता नहीं है। वह अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। मुझे इतना अच्छी तरह से पता है कि राज्य में कांग्रेस की कोई प्रासंगिकता नहीं है।

’प्रदेश से जो रिपोर्ट आ रही है उसके अनुसार सपा सरकार के खिलाफ तो सत्ता विरोधी लहर है लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उसकी चपेट से बाहर है। क्या इससे आपकी लड़ाई थोड़ी मुश्किल नहीं होगी?

- उत्तर प्रदेश में कानून और व्यवस्था की जो स्थिति है उसमें मैं नहीं मानता कि सपा को कोई समर्थन मिलेगा। जो हाल है उसमें सरकारें रिपीट नहीं होती हैं।

’मोदी सरकार के दो साल के कामकाज को लेकर दैनिक जागरण में एक सर्वे छपा था। उसके अनुसार चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश और पंजाब में पूर्वी राज्यों के मुकाबले कम उत्साह दिख रहा है। क्या आपके प्रतिनिधि शिथिल हैं?

- आपका सर्वे भी मानें तो हमारी सरकार बनती है। कोई ऐसा मिला जिसने कहा हो कि केंद्र सरकार काम ही नहीं कर रही है? कोई ऐसा मिला जिसने कहा हो कि मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगाया है? एक बहुत बड़े वर्ग को मोदी और भाजपा पर भरोसा है। हम उनके भरोसे पर खरा उतरेंगे। रही बात प्रतिनिधियों की तो हम लगातार जनता के बीच जा रहे हैं। जून में मेरे छह कार्यक्रम हैं। राजनाथ सिंह जी के दो कार्यक्रम हैं। हमारे जनप्रतिनिधि गांव-गांव जा रहे हैं। प्रधानमंत्री जी की एक रैली हो चुकी है। इलाहाबाद में हम सबकी साथ में रैली होगी। कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। बड़ी बात यह है कि त्रस्त जनता सपा को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

’सभी राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हो चुके हैं। बिहार और दिल्ली को लेकर क्या असमंजस है?

- चर्चा चल रही है। जल्द ही करेंगे।

’बदलाव होगा?

- चर्चा चल रही है।

’पार्टी की शक्ति बढ़ाने के तर्क पर आपने महाराष्ट्र में प्रयोग किया था और वह सफल भी हुआ था। लेकिन पंजाब में पार्टी की मजबूती को लेकर आप संतुष्ट हैं?

- पंजाब में हमने तय किया है कि अकाली दल के साथ ही जाएंगे और वह हमारी बड़ी सहयोगी है। यह पार्टी का निर्णय है।

’निर्णय में बदलाव पिछले कुछ दिनों में हुआ है..?

- नहीं यह निर्णय शुरू से है। हमारा बहुत लंबा साथ रहा है। सुख, दुख के साथी हैं हम।

’आपके नए कार्यकाल में ही उत्तराखंड की भी घटना हुई। क्या आकलन में चूक हो गई..?

- देखिए भाई, यह आपके आकलन की चूक है। कांग्रेस के अंदर वहां जो फूट थी और जिस तरह विनियोग विधेयक पारित कराया गया उसके लिए कौन दोषी था? हमारे तो कांग्रेस अपने आकलन में चूकी। मैं आपको बता दूं कि उत्तर प्रदेश की तरह ही उत्तराखंड मे भी सत्ताविरोधी लहर है। जो स्टिंग आया है उससे लोग स्तब्ध हैं। वक्त आने दीजिए जनादेश में दिख भी जाएगा।

’पिछले कुछ दिनों से गुजरात में बदलाव की भी चर्चा चल रही है?

- इस विषय में अभी कोई चर्चा नहीं हुई है।

’टीम मोदी और टीम शाह में एक साथ परिवर्तन होंगे?

- नहीं एक साथ कभी नहीं होता लेकिन अभी कोई समय तय नहीं हुआ है।

’आपके कार्यकर्ताओं की नाराजगी है कि केंद्र में कई पद हैं जिन पर राजनीतिक नियुक्तियां की जा सकती थीं लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है?

- केवल कार्यकर्ताओं की नहीं, कई और लोगों की भी नजर है। (हंसते हुए) करेंगे, करेंगे, वक्त आने पर सबकुछ होगा।

’मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाने जाएंगे तो विपक्ष की ओर से सूट-बूट की सरकार का इल्जाम भी दोहराया जाएगा..?

- कांग्रेस उपाध्यक्ष के निराधार जुमलों का जवाब तो हाल के विधानसभा चुनाव में देश की जनता ने दे ही दिया है परन्तु यह निश्चित है कि मोदी सरकार पूर्ण रूप से गरीबों के हितों के लिए समर्पित है। हालांकि पिछली सरकार से हमें जर्जर अर्थ व्यवस्था और खाली खजाना विरासत में मिला परन्तु मोदी सरकार ने इसे गरीबों के हितों के रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया है और अनेकों जनहित प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना से करोड़ों लोगों को कुछ ही रुपयों की किश्त पर आर्थिक और स्वास्थ्य सुरक्षा का लाभ मिल रहा है। शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में अनेक कदम उठाए गए हैं जिनके परिणाम शीघ्र ही मिलने शुरू हो जाएंगे।

’अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरे तेल के भाव का लाभ उपभोक्ता को दिए बिना सरकार अपने खजाने में क्यूं रख रही है ?

- यह सिर्फ विपक्ष का दुष्प्रचार है। तेल की खरीद में हुई बचत को जहां एक ओर दूसरी जनकल्याण की योजनाओं में लगाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर गरीबों को मुफ्त गैस के चूल्हे देने के साथ-साथ एलपीजी का विस्तार ऐतिहासिक तेजी से हुआ है। मोदी सरकार के कार्यकाल में तेल मंत्रालय अब सिर्फ आर्थिक ही नहीं बल्कि पहल, उज्ज्वला जैसी योजनाओं के जरिए जनकल्याण का मंत्रालय बन गया है। पहल के अंतर्गत रसोई गैस उपभोक्ता को सब्सिडी का लाभ सीधे उसके खाते में जाने से सरकार को पिछले वित्त वर्ष में 14,672 करोड़ रुपये की बचत हुई है। पहल के अनुभव को दूसरी योजनाओं में लागू करने से सब्सिडी वितरण में व्याप्त भ्रष्टाचार के नियंत्रण में भारी सफलता मिलेगी। उज्जवला योजना के जरिए पांच करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस चूल्हा देकर इन परिवारों की महिलाओं को जहां एक ओर स्वास्थ लाभ होगा वही दूसरी ओर उनकी सुरक्षा और सशक्तीकरण को भी बल मिलेगा।

’व्यापार जगत के लिए आपने क्या किया है?

- कांग्रेस द्वारा दी गई अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाना आसान काम नहीं था परन्तु प्रधानमंत्री मोदी जी की पहल पर लाए गए दर्जनों आर्थिक सुधारों के चलते आज देश की आर्थिक विकास दर 7.5 पर वापस आई है। निवेशकों का विश्वास भारत पर लौटा है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारी बढ़ोतरी हुई है। यदि कांग्रेस की राजनीति के जीएसटी जैसे अनेक आर्थिक सुधारों में अवरोध न पैदा किया गया होता तो हमें और बेहतर परिणाम
मिलते। अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होने से व्यापार जगत का सरकार पर विश्वास बढ़ा है। हमारे इन प्रयासों के परिणाम भी मिलने भी शुरू हो गए हैं। इसका प्रमाण बिजली, कोयला, यूरिया और एथनाल जैसी अनेकों वस्तुओं के उत्पाद में आई अभूतपूर्व तेजी है।

’और आपको भरोसा है कि मोदी सरकार के सारे काम आपको विधानसभाओं में भी जीत दिलाएंगे और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी?

- यह आपके देखने का नजरिया है। भाजपा की राजनीति समाज और देश में बदलाव लाने की रही है। वह काम हम कर रहे हैं और लोग सराह रहे हैं। चुनाव भी जनता ही जिताती है। मोदी जी पर लोगों का भरोसा है और वह उस पर खरे उतरे हैं।


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