मुझे हिंदी नहीं आती, हिंदी मैंने फिल्मों से सीखी: आडवाणी
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठतम नेता तथा देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का दावा है कि उनको हिंदी भाषा नहीं आती है। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी यूं तो लाखों की भीड़ को हिंदी में भाषण देकर बांध देते थे लेकिन उनका मानना है कि
आगरा। पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आगरा में कहा कि उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है, वह तो व्यक्ति निर्माण करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने नाना जी देशमुख, पं. दीनदयाल उपाध्याय और अटल जी से बहुत कुछ सीखा। उन्होंने कहा सरकार में कुछ कमियां हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है।
लालकृष्ण आडवाणी सोमवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता स्व. राजकुमार सामा की आत्मकथा 'मेरी कहानी, मेरी जुबानी' का विमोचन करने आगरा आए थे। विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो की धर्म संसद में दिए अपने संबोधन से दुनिया में भारत का मान बढ़ाया था। वह जब भारत आए, तो कहा था कि मेरी चाह यह नहीं कि दुनिया भारत के धर्म और विचारों को श्रेष्ठ माने। मैं तो एक ऐसा यंत्र बनना चाहता हूं, जिससे चरित्रवान व्यक्तियों का निर्माण हो। संघ भी इसी विचारधारा पर चलता है। हम सबको व्यक्ति निर्माण में जुटना चाहिए।
आडवाणी ने कहा कि दो साल पहले तक कोई नहीं सोच सकता था कि देश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी। ये कामयाबी मिली, लेकिन हमें अभी और काम करना है। सरकार में कुछ कमियां हैं, जो दूर करनी होंगी। हालांकि कार्यक्रम के बाद उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी, लेकिन बिहार चुनाव की बात उठने पर बोले- बिहार में वही होगा, जो हम चाहेंगे। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी मौजूद थे।
मुझे नहीं आती हिंदी
आडवाणी ने कहा कि मैं केवल अंग्रेजी और सिंधी भाषा जानता हूं। हिंदी नहीं। हिंदी मुझे उतनी ही आती है, जितनी सिनेमा से सीख सका हूं। यहां तक कि रामायण, महाभारत और गीता भी मैंने सिंधी भाषा में ही पढ़ी हैं।
आडवाणी को गुस्सा क्यों आता है
भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को गुस्सा क्यों आया। दरअसल कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी सहित बहुत से भाजपा नेता मौजूद थे। आडवाणी जैसे ही कार्यक्रम में आए लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने अपना संबोधन कर उन्हें माइक थमा दिया। इसके बाद उन्होंने माइक तो संभाल लिया लेकिन नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि कि मुझसे पहले तीन-चार नेता बोलते जो राजकुमार सामा के बारे में बताते। इसके बाद उन्होंने मंच भी दूसरे नेताओं को सौंप दिया। कुछ नेताओं ने जब संबोधन दे दिया तभी आडवाणी दोबारा बोलने पहुंचे।