कदम-दर-कदम फांसी के फंदे की तरफ यूं बढ़ा याकूब मेमन
1993 मुंबई आतंकी हमले के दोषी याकूब मेमन के लिए आज का दिन बहुत अहम था। अलग-अलग जगह उसकी चार याचिकाएं थीं, जिन पर सुनवाई होना थी या फैसला लिया जाना था, लेकिन उसे कहीं राहत नहीं मिली। एक नजर चारों फैसलों पर
नई दिल्ली। 1993 मुंबई आतंकी हमले के दोषी याकूब मेमन के लिए आज का दिन बहुत अहम था। अलग-अलग जगह उसकी चार याचिकाएं थीं, जिन पर सुनवाई होनी थी या फैसला लिया जाना था, लेकिन उसे कहीं राहत नहीं मिली। एक नजर चारों फैसलों पर -
क्यूरेटिव पिटीशन : सुप्रीम कोर्ट ने लंच से पहले तमाम पहलुओं पर सुनवाई की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं, लेकिन फैसला नहीं हो पाया। लंचे के बाद याकूब को तब पहला झटका लगा जब उसकी क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दी गई। जजों का मानना था कि याकूब के मामले में कानून का पूरी तरह से पालन हुआ है।
राज्यपाल ने खारिज की याचिका : सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी थी, इसी बीच खबर आई कि महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव ने भी याकूब की दया याचिका खारिज कर दी। यह मुंबई हमलों के दोषी के लिए दूसरा झटका था।
डेथ वारंट भी सही : सुप्रीम कोर्ट ने याकूब की यह दलील भी खारिज कर दी कि मुंबई टाडा कोर्ट के डेथ वारंट में नियमों का पालन नहीं किया गया है। याकूब के लिए यह तीसरा झटका रहा और तय हो गया कि उसे फांसी होकर रहेगी।
अब कोई याचिका नहीं : नियमानुसार अब याकूब के पास कोई रास्ता नहीं बचा है। वह कहीं कोई याचिका दायर नहीं कर पाएगा। ना ही राज्यपाल या राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका प्रस्तुत कर पाएगा।