आखिर कितना विश्वसनीय होता है चुनाव के बाद किया गया एग्जिट पोल
चुनाव खत्म होने के बाद हर कोई इस बात को जानने को उत्सुक होता है कि उन राज्यों में हुए चुनाव में आखिर किसकी लहर है और कौन सरकार बना रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी को चुनाव परिणाम आने का इंतजार है। हालांकि, परिणाम आने से पहले विभिन्न न्यूज़ चैनल्स और एजेंसियों की तरफ से एग्जिट पोल जारी कर दिया गया है। इस एग्जिट पोल से लोगों के सामने काफी हद तक इस बात की संभावना बनती है कि कौन से राज्य में किसकी सरकार बनने जा रही है। हालांकि, पहले एग्जिट पोल का प्रसारण 8 फरवरी को ही होना था लेकिन 9 मार्च को यूपी और उत्तराखंड की एक-एक विधानसभा सीट पर मतदान होने के चलते इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया।
चुनाव खत्म होने के बाद हर कोई इस बात को जानने को उत्सुक होता है कि उन राज्यों में हुए चुनाव में आखिर किसकी लहर है और कौन सरकार बना रहा है। इसी को लेकर लोगों के ओपिनियन के आधार पर मतदान के बाद अलग-अलग एजेंसियों की तरफ से एग्जिट पोल कराया जाता है। ताकि, इस बात का पता लगाया जा सके कि वहां पर किसको बढ़त मिल रही है और वाकई में किस पार्टी की क्या स्थिति रहनेवाली है।
2014 के लोकसभा चुनाव में सच साबित हुआ एग्जिट पोल
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लगभग सभी एग्जिट पोल में एनडीए को साफतौर पर बढ़त दिखाई गई थी। एग्जिट पोल में यह कहा गया था कि भाजपा अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी। हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही। इस चुनाव में कुल 543 सीटों में से भाजपा को अकेले 282 सीटें मिली थी जबकि एनडीए ने कुल 334 सीटों पर जीत हासिल की थी। तो वहीं, कांग्रेस सिर्फ 44 सीटों पर सिमट कर रह गई थी।
विधानसभा चुनाव में गलत हुए एग्जिट पोल
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद एग्जिट पोल में साफतौर पर एनडीए गठबंधन को बढ़त दिखाया गया था। लेकिन, जब चुनाव परिणाम सामने आया तो वह चौंकानावाला था। इसमें राजद और जेडीयू के महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला। 243 सीटों वाली विधानसभा में महागठबंधन को 178 सीटों के साथ भारी बहुमत मिला था।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी सच साबित नहीं हुआ एग्जिट पोल
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अधिकतर एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी को बढ़त दिखाई गई थी। लेकिन, एक बार नहीं बल्कि दोनों ही बार हुए दिल्ली के विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल पूरी तरह से गलत साबित हुआ था। जबकि, आम आदमी पार्टी ने राजधानी दिल्ली में हुए दोनों विधानसभा चुनाव के बाद अपनी सरकार बनायी थी।
एग्जिट पोल कितना सही?
एग्जिट पोल के बाद काफी हद तक किसी चुनाव की तस्वीर निकलकर सामने आ जाती है क्योंकि इसका प्रसारण सभी चरणों के मतदान खत्म होने के बाद किया जाता है। कई बार एग्जिट पोल काफी हद तक सटीक बैठा और जितनी सीटें पार्टी को दी गई करीब-करीब उतनी सीटें उन्हें मिली भी। लेकिन, कई बार ऐसा भी हुआ जब एग्जिट पोल कोरी बकवास साबित हुआ। जिसके बाद चौतरफा ऐसे एग्जिट पोल पर सवाल उठने लगे।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव: चर्चा में कांग्रेस का एक अकाउंट
पांचों राज्य में कड़ा मुकाबला
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा, सपा-कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच है। जबकि, पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में मुख्य मुकाबला अकाली-भाजपा गठबंधन, कांग्रेस और पहली बार चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी के बीच है। 70 सदस्यीय उत्तराखंड विधानसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला है। पिछली बार यहां पर मामूली अंतर से कांग्रेस की सरकार बनी थी। लेकिन इस बार कांग्रेस के लिए उसे दोहराना शायद आसान ना हो।
गोवा और मणिपुर में भी दिलचस्प मुकाबला
भाजपा शासित 40 सदस्यीय गोवा में इस बार के नतीजे इसलिए दिलचस्प है क्योंकि यहां के चुनाव में पहली बार पंजाब के साथ ही यहां के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी अपना किस्मत आजमा रही है। जबकि, 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के ओकराम इबोबी सरकार को भाजपा और इरोम शर्मिला से कड़ी टक्कर मिली है।
यह भी पढ़ें: लोकतंत्र के महापर्व में मतदाताओं ने बढ़चढ़ कर लिया हिस्सा, अब रिजल्ट का है इंतजार