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रिपोर्टः गुमनामी बाबा से जुड़ी तीन दशक पुरानी पहेली सुलझने की उम्मीद

सेवानिवृत्त जस्टिस विष्णु सहाय ने आज रिपोर्ट शासन को सौंप दी। अब सवा तीन दशक पुराने गुमनामी बाबा के रहस्य से पर्दा उठने की उम्मीद है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 19 Sep 2017 09:05 PM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 05:21 PM (IST)
रिपोर्टः गुमनामी बाबा से जुड़ी तीन दशक पुरानी पहेली सुलझने की उम्मीद
रिपोर्टः गुमनामी बाबा से जुड़ी तीन दशक पुरानी पहेली सुलझने की उम्मीद

फैजाबाद (जेएनएन)। सेवानिवृत्त जस्टिस विष्णु सहाय ने आज अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी और इसी के साथ ही उन गुमनामी बाबा के रहस्य पर से पर्दा उठने की उम्मीद जगी है, जो सवा तीन दशक से पहेली बने हुए हैं। दावा किया जाता रहा है कि भूमिगत रहने वाले बाबा असाधारण थे और कुछ लोगों की मान्यता है कि उनके रूप में नेताजी सुभाषचंद्र बोस भूमिगत जीवन व्यतीत कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि फैजाबाद रामभवन में प्रवास के दौरान 16 सितंबर, 1985 को गुमनामी बाबा का निधन हो गया और इसी के साथ ही बाबा को नेताजी बताने की दावेदारी बुलंद हुई। 

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रामभवन के उत्तराधिकारी शक्ति सिंह भी इसी मत के हैं और उन्होंने सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केंद्र का गठन कर अपने को बाबा की सच्चाई उजागर करने में समर्पित किया है। उन्हीं की याचिका पर जनवरी 13 में हाईकोर्ट ने बाबा की सच्चाई जांचने का आदेश दिया था और इसी आदेश के पालन ने प्रदेश सरकार ने गत वर्ष 28 जून को विष्णु सहाय की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया। करीब सवा साल की अवधि में आयोग के अध्यक्ष ने आधा दर्जन बार फैजाबाद की यात्रा की और दो दर्जन से अधिक गवाहों के बयान लिए। अपनी यात्रा में उन्होंने रामकथा संग्रहालय का भी जायजा लिया, जहां बाबा की वस्तुएं प्रदर्शित होनी थीं। शक्ति सिंह के अनुसार, जांच आयोग का वजूद निश्चित रूप से उत्साहित करने वाला था पर कोर्ट के आदेश के अनुरूप आयोग ने अपनी जांच में विशेषज्ञों और मामले को साफ करने के लिए उच्चाधिकारियों की मदद लेने में कोताही बरती। उनका कहना है कि बाबा की हैंडराइटिंग और दशकों से सुरक्षित उनके रजाई-गद्दे से डीएनए भी कराया जा सकता था और इससे सच्चाई की पूर्ण वैज्ञानिकता के साथ जांच संभव थी।

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सहाय आयोग ने रिपोर्ट सौंपी 

गुमनामी बाबा की पहचान के लिए बनाए गए एकल सदस्यीय जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी है। 347 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में आयोग ने सभी पक्षों को उभारा है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस बात को लेकर याचिका दायर की गई थी कि फैजाबाद में रहने वाले गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति विष्णु सहाय ने राजभवन में राज्यपाल रामनाईक से भेंट कर गुमनामी बाबा/भगवानजी जांच आयोग की रिपोर्ट सौंपी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल की प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर और आयोग के सचिव अवकाश प्राप्त जिला जज न्यायाधीश दिलीप कुमार भी उपस्थित थे।

रिपोर्ट लगभग चौदह माह में पूरी

राज्यपाल आयोग द्वारा सौंपी गई 347 पृष्ठीय रिपोर्ट के परीक्षण के उपरांत अग्रिम कार्यवाही के लिए राज्य सरकार को भेजेंगे। न्यायमूर्ति विष्णु सहाय ने उक्त एकल सदस्यीय आयोग का कार्यभार चार जुलाई, 2016 को संभाला था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट लगभग चौदह माह में पूरी की है। 31 जनवरी, 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को फैजाबाद के रामभवन में रहने वाले गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान की जांच के लिये एक पैनल के गठन पर विचार करने को कहा था। 


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