जाकिर मूसा को संगठन में वापस लेने की जुगत में हिजबुल
आतंकवादी जाकिर मूसा द्वारा नया संगठन बनाने की कोशिशों से आतंकवादियों और अलगाववादियों में खलबली मची हुई है।
श्रीनगर (जेएनएन)। कश्मीर में आतंक का पर्याय बने जाकिर मूसा के हिजुबल मुजाहिद्दीन से नाता तोड़ इस्लामिक राज के लिए नया संगठन बनाने की कोशिशों से आतंकी संगठनों में ही नहीं, बल्कि अलगाववादी खेमे में भी अफरा-तफरी फैल गई है। हिज्ब और अलगाववादी खेमा अपने तंत्र के जरिए उसे वापस हिजबुल में लाने का हर संभव प्रयास कर रहा है।
जुलाई 2016 में हिज्ब के पोस्टर ब्वाय बुरहान के मारे जाने के बाद दक्षिण कश्मीर में हिज्ब की कमान जाकिर रशीद बट उर्फ जाकिर मूसा ने संभाली थी। उसने कश्मीर में आजादी के नाम पर जारी आतंकवाद की पोल खोलते हुए कहा था कि कश्मीरियों ने बंदूक आजादी के लिए नहीं, बल्कि कश्मीर में इस्लाम और निजाम-ए-मुस्तफा की बहाली के लिए उठाई है। उसने हुर्रियत नेताओं पर दोगलेपन का आरोप लगाते हुए उनके सिर कलम करने की धमकी दी थी।
हिज्ब आला कमान से मतभेद होने पर उसने संगठन से नाता तोड़ लिया था। मूसा ने कश्मीर में इस्लामिक राज की बहाली के लिए एक नया संगठन बनाने की कवायद शुरू कर दी। इसमें उसका सहयोग कथित तौर पर हुजी, जैश के कमांडर कर रहे हैं। कश्मीर में कुछ जिहादी मानसिकता वाले मजहबी संगठनों के नेताओं ने गत दिनों उससे मुलाकात की। लश्कर ने सार्वजनिक तौर पर जाकिर की नीतियों का विरोध किया है, लेकिन अंदरखाने उसने भी उसका समर्थन किया है। सूत्रों के अनुसार, जाकिर के संगठन से नाता तोड़ने के बाद हिज्ब आला कमान ने दक्षिण कश्मीर में हिज्ब की कमान संभालने के लिए तीन कमांडरों को आजमाया, लेकिन किसी ने कमान लेने की हामी नहीं भरी।
खुफिया तंत्र के मुताबिक, बीते 28 वर्ष में ऐसा पहली बार हुआ है जब कश्मीर में किसी आतंकी कमांडर द्वारा संगठन से नाता तोड़ने पर किसी अन्य आतंकी कमांडर ने उसका स्थान लेने से मना किया हो। इससे हिज्ब की गुलाम कश्मीर स्थित कमान काउंसिल में खलबली मची हुई है। हिज्ब सुप्रीमो सलाहुद्दीन भी किसी नए कमांडर को दक्षिण कश्मीर की कमान देने से बच रहा है, क्योंकि उसे लगता है कि ऐसा करने पर दक्षिण कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी दो खेमों में बंट जाएंगे। सलाहुद्दीन और पाकिस्तान बैठे एक अन्य आतंकी कमांडर आमिर खान ने वादी में सक्रिय नेटवर्क के जरिए जाकिर मूसा को मना वापस हिज्ब में लाने की कवायद शुरू कर दी है।
कश्मीर के कुछ प्रमुख अलगाववादी नेता भी इसमें शामिल हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि अगर जाकिर मूसा अपना संगठन बनाता है तो वह उन्हें (अलगाववादी खेमे का एक विशेष गुट) जरूर निशाना बनाएगा। इसके अलावा उनकी जो पकड़ हिज्ब में है, वह नहीं रहेगी। इसलिए यह नेता दक्षिण कश्ममीर में सक्रिय कुछ मजहबी नेताओं से भी संपर्क साध जाकिर मूसा के करीबियों तक सुलह का संदेश भेज रहे हैं।
खुफिया तंत्र के मुताबिक, मूसा भी हिज्ब की कमान काउंसिल की कमजोरी जान चुका है। इसलिए वह अपने लिए ऑपरेशनल आजादी, स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार हमलों की रणनीति बनाने, कुछ पॉलीटिकल किलिंग को अंजाम देने की अपनी शर्ताें पर मुहर के अलावा सरहद पार से नियमित पैसा और हथियारों की आपूर्ति चाहता है।
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