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मोदी का ईरान दौरा खत्म, चाबहार पर ऐतिहासिक समझौता; पाक दरकिनार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ईरान दौरा खत्म हो गया। तेहरान में दोनों देशों के बीच 12 अहम करार हुए हैं, जिसमें चाबहार बंदरगाह का विकास करना भी शामिल है।

By anand rajEdited By: Published: Tue, 24 May 2016 08:38 AM (IST)Updated: Tue, 24 May 2016 11:53 AM (IST)
मोदी का ईरान दौरा खत्म, चाबहार पर ऐतिहासिक समझौता; पाक दरकिनार

तेहरान [एजेंसी]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिवसीय ईरान दौरेे के दौरान 12 अहम करार हुए। इनमें मील का पत्थर कहे जाने वाला चाबहार बंदरगाह के विकास का समझौता भी शामिल है। दक्षिणी ईरान में स्थित इस बंदरगाह के जरिए भारतीय जहाज सीधे ईरान पहुंच सकेंगे। इससे अफगानिस्तान तक सामान पहुंचाने में आसानी होगी। फिलहाल यहां जाने के लिए पाकिस्तान के रास्ते जाना पड़ता है। इसके अलावा दोनों देशों ने आतंकवाद, कट्टरपंथ, साइबर अपराध, मादक द्रव्यों की तस्करी के खिलाफ एकसाथ मुकाबला करने का भी फैसला किया।

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पीएम मोदी के ईरान दौरे के दौरान भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच परिवहन और पारगमन कॉरिडोर पर त्रिपक्षीय समझौता भी हुआ है। यह कॉरिडोर चाबहार बंदरगाह से जुड़ेगा। इस समझौते पर दस्तखत के लिए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी मौजूद थे। इस करार के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह क्षेत्र का इतिहास बदल सकता है। इसके अलावा व्यापार कर्ज, संस्कृति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और रेलवे जैसे अलग--अलग क्षेत्रों में समझौते किए गए हैं।

50 करोड़ डॉलर निवेश करेगा भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने आपसी बातचीत के बाद संयुक्त रूप से प्रेस--कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इसमें मोदी ने चाबहार समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि चाबहार बंदरगाह और इससे जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ा करार एक मील का पत्थर है। इसमें भारत 50 करोड़ डॉलर ([3325 करोड़ रुपए)] का निवेश करेगा। उन्होंने कहा कि इस बड़े प्रयास से क्षेत्र में आर्थिक विकास होगा।

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इतिहास जितना पुराना है ईरान से दोस्ती

पीएम मोदी ने ईरान के साथ संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की उससे दोस्ती उतनी ही पुरानी है जितना इतिहास है। सदियों से दोनों देश कला, वास्तुकला, विचार, परंपरा, संस्कृति और वाणिज्य के जरिए एक दूसरे से जुड़े रहे हैं। 2001 में गुजरात में आए भूकंप का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि ईरान पहला देश था जो मदद के लिए सबसे पहले आगे आया। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति को भारत आने का न्योता दिया। उल्लेखनीय है मोदी 15 सालों में ईरान जाने वाले पहले पीएम हैं। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ईरान गए थे।

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चाबहार इसलिए है खास
मोदी के साथ ईरान गए सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि चाबहार बंदरगाह समझौते से भारत को ईरान में अपने पैर जमाने और पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान, रूस और यूरोप तक सीधी पहुंच बनाने में मदद मिलेगी। इस समझौते से वस्तुएं ईरान तक तेजी से पहुंचाने और फिर नए रेल एवं सड़क मार्ग के जरिए अफगानिस्तान ले जाने में मदद मिलेगी।

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मोदी ने गालिब का यह शेर पढ़ा , रूहानी मुस्कुराए
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन का अंत मिर्जा गालिब के एक शेर से किया--
नूनत गरबे नफ्से--खुद तमाम अस्त। जे--काशी पा--बे काशान नीम गाम अस्त।
यानी अगर हम अपना मन बना लें तो काशी और काशान के बीच की दूरी केवल आधा कदम होगी। जब मोदी शेर पढ़ रहे थे तो ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी मुस्कुरा रहे थे।

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