हिमाचल टैक्सी आपरेटरों को फिलहाल नहीं मिली राहत
अंतरिम आदेश देने से इन्कार करते हुए कोर्ट ने रोहतांग दर्रे में वाहनों की संख्या बढ़ाने पर राज्य सरकार से 2 सप्ताह में जवाब मांगा है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पर्यटकों को रोहतांग दर्रे का भ्रमण कराने वाले हिमाचल टैक्सी आपरेटरों को फिलहाल सुप्रीमकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने सोमवार को साफ कर दिया कि आंकड़े देखे बगैर वो वाहनों की संख्या बढ़ाने के बारे में कोई आदेश जारी नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा कि वाहनों से ग्लेशियर को नुकसान पहुंचता है इससे लोगों की रोजी रोटी भी जुड़ी है और ये सुरक्षित रहना चाहिए। सोमवार को कोई भी अंतरिम आदेश देने से इन्कार करते हुए कोर्ट ने रोहतांग दर्रे में वाहनों की संख्या बढ़ाने पर राज्य सरकार से 2 सप्ताह में जवाब मांगा है।
ये निर्देश सोमवार को न्यायमूर्ति पीसी पंत और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने हिम आंचल टैक्सी आपरेटर यूनियन की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए। टैक्सी यूनियन ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर एनजीटी के आदेश को चुनौती दी है। एनजीटी ने रोहतांग दर्रे में वाहनों की संख्या सिर्फ 1200 तक सीमित कर दी है। जिसमें एक दिन में 400 डीजल और 800 पैट्रोल वाहन जा सकते हैं। टैक्सी आपरेटरों ने सुप्रीमकोर्ट से वाहनों की संख्या बढ़ाने की गुहार लगाई है।
सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि आंकड़े देखे बगैर वे वाहनों की संख्या बढ़ाने के बारे में कोई भी आदेश नहीं दे सकते। एनजीटी ने सिर्फ 1200 वाहनों को इजाजत दी है अगर याचिकाकर्ता चाहते हैं कि ये संख्या बढ़ाकर 2000 कर दी जाए तो वे इसके समर्थन में आंकड़े पेश करें। कोर्ट ने इस बावत हिमाचल सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। इसके अलावा पीठ ने मनाली में सीएनजी की उपलब्धता पर पैट्रोलियम व गैस मंत्रालय की ओर से दाखिल किये गए हलफनामे पर भी राज्य सरकार व अन्य पक्षों से जवाब मांगा है।
इससे पहले टैक्सी आपरेटरों की ओर से रोजी रोटी की दुहाई देते हुए कहा गया कि उनकी कमाई का सीजन सिर्फ मई से अक्टूबर तक ही होता है। एनजीटी के आदेश में बदलाव करके उन्हें राहत दी जाए। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि गाडि़यों के प्रदूषण के अलावा दिल्ली के प्रदूषण की वजह से ग्लेशियर ज्यादा प्रभावित हो रहा है। उनकी जीविका का एक मात्र साधन सीजन में पर्यटकों से होने वाली कमाई है अत: टैक्सियों की संख्या बढ़ाई जाए। कोर्ट इस मामले में दो सप्ताह बाद फिर सुनवाई करेगा।