CBI का आरोप, आय से अधिक संपत्ति जांच में सहयोग नहीं कर रही हिमाचल सरकार
वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ता ने तर्क रखा इस मामले में राज्य के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह व अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआइ ने हाई कोर्ट में कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार उनकी जांच बाधित कर रही है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी की पीठ के समक्ष सीबीआइ की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस पटवालिया ने कहा कि प्रतिनिधि बनकर हिमाचल प्रदेश सरकार उनकी जांच में रुकावट पैदा कर रही है। हिमाचल सरकार अपनी पुलिस व कोर्ट के नाम पर हाई कोर्ट को मूर्ख बना रही है। सरकार कोर्ट की आंख में धूल झोंकने का काम कर रही है। अधिवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य का कार्यपालक अध्यक्ष होता है। किसी राज्य की पुलिस उसके गृह विभाग के अधीन होती है और गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास होता है। ऐसे में मामले की जांच में हिमाचल सरकार को कैसे शामिल किया जाए।
वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ता ने तर्क रखा इस मामले में राज्य के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया है। इस केस में मुख्यमंत्री व उनके परिवार संलिप्त हैं तो कैसे सीबीआइ जांच कर सकती है। जबकि जांच के लिए वह अधिकृत ही नहीं है। संविधान में पुलिस राज्य के पास है, लेकिन यहां सीबीआइ मामले की जांच का दावा कर रही है। हिमाचल सरकार व पुलिस मामले की जांच के लिए है और सरकार मामले को हिमाचल से दिल्ली ट्रांसफर करने के लिए सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि सीबीआइ दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के तहत काम करती है और अधिनियम में साफ कहा गया है कि दिल्ली से बाहर जांच के लिए उसे संबंधित सक्षम प्राधिकारी से सहमति लेनी होगी। अधिनियम के तहत सीबीआइ का अधिकार क्षेत्र केवल केंद्र शासित प्रदेश तक ही है।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री के वकील ने अदालत में कहा था कि सीबीआइ ने मामले में अपने आप दिल्ली से बाहर जांच करने का फैसला किया, जो वह नहीं कर सकती है। इस केस में जिस संपत्ति की बात हो रही है वह हिमाचल प्रदेश में है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश पुलिस को इसकी जांच करनी चाहिए। सीबीआइ ने जांच करने से पहले हिमाचल प्रदेश प्रशासन से इसकी अनुमति नहीं ली। अदालत ने 27 सितंबर को मामले में रोजाना सुनवाई करने का निर्णय किया था।
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