हाय रे सुशासन, इलाज के लिए नवजात बच्चे को रखना पड़ा गिरवी
एक मां ने 'चौथी' संतान को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों बीमार थे। डाक्टरों ने दोनों को बचाने के लिए दवा का लंबा-चौड़ा खर्चा बताया। मां ने अपनी पड़ोसी को अपनी गरीबी की दास्तान सुनाई।
फुलवारीशरीफ [पटना]। एक मां ने 'चौथी' संतान को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों बीमार थे। डाक्टरों ने दोनों को बचाने के लिए दवा का लंबा-चौड़ा खर्चा बताया। मां ने अपनी पड़ोसी को अपनी गरीबी की दास्तान सुनाई। पड़ोसी ने उपाय सुझाया, बताया पैसा तो मिल जाएगा, लेकिन बच्चे को बंधक रखना पड़ेगा।
मरता क्या न करता। मां को इस बात का गम था कि अगर उसे कुछ हो गया तो अन्य तीन बच्चों का क्या होगा? लिहाजा वह पड़ोसी का प्रस्ताव मान गई। उसे यह नहीं मालूम था कि वह नवजात का सौदा कर रही है। कुछ दिनों के बाद जब उसे एहसास हुआ तो उसने पड़ोसी से बच्चों को वापस मांगा। पड़ोसी की ओर से जवाब मिला कि बच्चा तब तक वापस नहीं मिलेगा जब तक दो हजार रुपया नहीं लौटेगा। इतनी ही रकम में बच्चा गिरवी रखा गया था।
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परेशान मां फुलवारी शरीफ थाना पहुंची। उसने थानाध्यक्ष को आपबीती सुनाई। पुलिस ने तत्काल बच्चे को रखने वाली महिला को बुलाया। महिला ने पुलिस को बताया कि उसकी बेटी को कोई औलाद नहीं है इस कारण उसने दो हजार रुपया देकर बच्चे को खरीदा था। वह बच्चा वापस नहीं करेगी। फिर क्या था, थाने में दोनों जोर-जोर से रोने लगीं। थानाध्यक्ष ने कानून का हवाला देकर किसी तरह बच्चे को मां के हवाले किया।
यह कहानी है सूई की मस्जिद निवासी सोनी की, जिसका पति बीमार रहता है। वह पेशे से मजदूर है। उसके तीन बच्चे 8, 6 और 5 साल के हैं। सोनी की चौथी संतान का दो हजार रुपये में सौदा जिस पड़ोसी ने किया उसकी बेटी की शादी मसौढ़ी में हुई है।
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