हेरिटेज होटलों को रियायतों का पिटारा
वर्ष 1
लखनऊ। वर्ष 1950 से पहले बने विरासत महत्व के पुराने किलों, महलों, हवेलियों और कोठियों को हेरिटेज होटल में तब्दील करने वाले उद्यमियों को राज्य सरकार कई तरह की रियायतों की सौगात देगी। प्रदेश में हेरिटेज होटल परियोजनाओं को छूट हासिल करने के पूंजी निवेश की अधिकतम राशि पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
वहीं, सरकार से पूंजीगत अनुदान लेने के लिए पांच साल तक हेरिटेज होटल के संचालन की बाध्यता होगी। हेरिटेज होटल और पर्यटन संबंधी अन्य परियोजनाओं की स्थापना में समस्याओं के निराकरण के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था अपनाई जाएगी।
इन परियोजनाओं के बारे में यदि शासन के किसी भी विभाग से सहयोग की जरूरत हो तो पर्यटन विभाग नोडल एजेंसी के तौर पर काम करेगा ताकि परियोजनाओं को अनापत्ति और स्वीकृतियां प्राप्त करने में असुविधा न हो और उनका क्रियान्वयन जल्द से जल्द शुरू हो सके। पर्यटन विभाग की ओर से एक समिति भी गठित की जाएगी जो समय-समय पर और तीन महीने में कम से कम एक बार हेरिटेज इकाइयों का निरीक्षण करेगी और उनके सामने आने वाली दिक्कतों को हल करेगी।
ये मिलेंगी सुविधाएं
-सुख-साधन कर में पांच वर्षो तक 100 फीसद छूट
-ग्रामीण क्षेत्रों में दस व शहरी इलाकों में पांच वर्षो तक मनोरंजन कर में 100 फीसद छूट
-निर्माण या विस्तार के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण लेने पर पूंजीगत व्यय पर 25 प्रतिशत अनुदान
-गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों व जेनरेटर के लिए पूंजीगत खर्च पर 25 फीसद अनुदान
-स्थापना के लिए किसी भवन या उससे लगी जमीन खरीदने पर स्टांप शुल्क में 100 फीसद छूट
-विरासत संपत्तियों को हेरिटेज होटल में बदलने पर भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क में 100 फीसद छूट
-ग्रामीण क्षेत्रों में पांच साल तक बार लाइसेंस शुल्क में 100 फीसद छूट
-बिजली की विशेष लाइन दिए जाने पर अधिकतम 15 किमी की दूरी पर होने वाले खर्च में 25 फीसद छूट
तीन तरह के होंगे होटल
केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने विरासत महत्व के भवनों के निर्माण की प्राचीनता और उनमें उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर हेरिटेज होटलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
1. हेरिटेज होटल : वर्ष 1950 से पहले बना हो जिसमें न्यूनतम पांच कमरे हों।
2. हेरिटेज क्लासिक : वर्ष 1935 से पहले बना हो जिसमें न्यूनतम 15 कमरे हों।
3. हेरिटेज ग्रैंड : वर्ष 1920 से पहले बना हो जिसमें कम से कम 25 कमरे हों।