देशभक्ति व बलिदान नहीं, बेईमानी का गोरखधंधा है यह 'कारगिल', जानिए मामला...
कारगिल का जिक्र आते ही हमारे जेहन में भारतीय सैनिकों की पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में प्रदर्शित बहादुरी व उनके बलिदान के अक्स उभरते हैं। लेकिन, बिहार के सहरसा जिले से बंगाल व नेपाल तक एक और 'कारगिल' चर्चा में है।
सहरसा [कुंदन]। कारगिल का जिक्र आते ही हमारे जेहन में भारतीय सैनिकों की पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में प्रदर्शित बहादुरी व उनके बलिदान के अक्स उभरते हैं। लेकिन, बिहार के सहरसा जिले से बंगाल व नेपाल तक एक और 'कारगिल' चर्चा में है।
यह कोड उन लोगों के बीच प्रचलित है, जो अनाज की तस्करी के गोरखधंधे से जुड़े हैं। इस खेल में गरीबों के हिस्से की रोटी राज्य व देश के बाहर पहुंचाई जा रही है।
तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए भले ही जीपीएस प्रणाली का भी इस्तेमाल हो रहा है, पर यह प्रभावी नहीं है। प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी अनजान है। अनाज माफिया और तस्करों की सांठगांठ से यह धंधा फल-फूल रहा है।
क्या है यह 'कारगिल
एफसीआइ से अनाज लदे ट्रक को एसएफसी के गोदाम तक पहुंचाया जाता है। लेकिन, कई ट्रक ऐसे होते हैं जिन्हें महज कुछ घंटों की दूरी तय करने में कई-कई दिन लग जाते हैं। ऐसे ट्रकों से रास्ते में ही अनाज की बोरियां निकाल ली जाती हैं। ट्रकों के गायब होने के इस खेल को इस धंधे में लगे लोग 'कारगिल' का कोड नाम देते हैं।
नेपाल व बंगाल तक फैला है रैकेट
ट्रकों से निकाले गए अनाज को माफिया द्वारा अपने गोदाम में स्टॉक किया जाता है। बाद में इसे ट्रकों के माध्यम से नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में पहुंचाया जाता है। यहां से अनाज साइकिल व मोटरसाइकिल के माध्यम से सीमा पार पहुंचाया जाता है। दूसरी ओर बंगाल व फारिबसगंज की राइस मिलें भी गरीबों के हिस्से के अनाज से संचालित हो रही हैं।
फर्जी रैपर व चालान का हो चुका है खुलासा
पिछले दिनों सहरसा की रिफ्यूजी कॉलोनी में हुई छापेमारी के दौरान बंगाल की राइस मिल की पर्ची बरामद हो चुकी है। अनाज तस्करी को लेकर दर्ज मामले की छानबीन में पुलिस को इस बात की जानकारी मिली थी कि फर्जी चालान के जरिए ट्रकों को राज्य से बाहर भेजा जाता है।
डीलर व ट्रांसपोर्टर के जरिए होता है खेल
डीलर व ट्रांसपोर्टर द्वारा यह खेल खेला जाता है। डीलर गोदाम पर ही दलालों से इसकी सेङ्क्षटग कर लेते हैं। सौदा तय होने के साथ ही ट्रक कालाबाजारी करने वालों के गोदाम तक पहुंच जाता है। कभी-कभार अगर ट्रक पकड़ा जाता भी है तो पुलिस से लेकर सब कुछ मैनेज हो जाता है और मामला ढाक के तीन पात वाला हो जाता है।
कहा-सदर एसडीओ, सहरसा, ने
'कालाबाजारी की सूचना मुझे नहीं मिली है। अगर ऐसी सूचना है तो कोई भी दे सकते हैं, तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
- मो. जहांगीर आलम (सदर एसडीओ, सहरसा)