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टीबी और एड्स से भी ज्यादा मौतें इस आम लगने वाली बीमारी से होती हैं

विश्व स्वास्थ्य संगठन के ग्लोबल हेपेटाइटिस रिपोर्ट-2017 के अनुसार हाल के समय में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) और एचआइवी/एड्स से होने वाली मौतों में लगातार कमी आ रही है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 02:37 PM (IST)
टीबी और एड्स से भी ज्यादा मौतें इस आम लगने वाली बीमारी से होती हैं
टीबी और एड्स से भी ज्यादा मौतें इस आम लगने वाली बीमारी से होती हैं

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]।  किसी भी आम व्यक्ति से अगर आज पूछा जाए कि दुनिया में सबसे घातक बीमारी कौन सी है, तो शायद सबसे ज्यादा लोगों का जवाब एड्स होगा। इसके अलावा कुछ लोग टीबी व कैंसर का नाम भी ले सकते हैं। अब हम आपको बताते हैं कि दरअसल एड्स और टीबी से भी ज्यादा खतरनाक एक बीमारी है, जिसे शायद हम और आप नजरअंदाज करते हैं या हमें उसके बारे में बहुत कम जानकारी है।

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एड्स और टीबी के बारे में लोग जानते हैं, काफी हद तक इनका इलाज भी संभव हो चुका है और बचने के उपाय भी ज्यादातर लोगों को कहीं ने कहीं से पता चल ही जाते हैं। लेकिन हेपेटाइटिस को लेकर ऐसी सजगता नहीं है, इसीलिए यह सर्वाधिक जानलेवा बीमारी बनती जा रही है।

डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल मार्गरेट चान कहते हैं, 'हेपेटाइटिस इस समय जनस्वास्थ्य के लिए व्यापक चुनौती बन गया है। इस पर तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।'

एड्स से ज्यादा हेपेटाइटिस से मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन के ग्लोबल हेपेटाइटिस रिपोर्ट-2017 के अनुसार हाल के समय में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) और एचआइवी/एड्स से होने वाली मौतों में लगातार कमी आ रही है। रिपोर्ट के अनुसार 2015 में हेपेटाइटिस से मौतों का आंकड़ा टीबी से हुई मौतों के लगभग बराबर और एचआइवी से हुई मौतों से अधिक है। हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) और हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) से सर्वाधिक संख्या में लोग संक्रमित हैं।

 

हेपेटाइटिस के लक्षण

इस रोग से लिवर के ऊतकों में सूजन आ जाती है। कुछ पीड़ितों में इसके लक्षण दिखते तक नहीं हैं। जबकि कुछ रोगियों में यह पीलिया, डायरिया, अपच, उल्टी, पेट दर्द, भूख न लगना, फ्लू जैसे लक्षण और कमजोरी के रूप में दिखायी देता है।

हेपेटाइटिस के प्रकार

हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई कुल पांच प्रकार का होता है। इनमें से भी ए, बी और सी से सबसे ज्यादा लोग पीड़ित होते हैं। हर तरह के हेपेटाइटिस के लिए एक अलग तरह का वायरस जिम्मेदार होता है। हेपेटाइटिस ए बहुत ही खातक और शॉर्ट टर्म बीमारी होती है। जबकि हेपेटाइटिस बी, सी और डी लगातार चलने वाली बीमारी हैं। उधर हेपेटाइटिस ई भी घातक होती है, लेकिन यह गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक साबित होती है।

कैसे होता है हेपेटाइटिस

अगर आप दूषित पानी पीते हैं और बाहर का दूषित भोजन खाते हैं तो आप हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई की जद में आ सकते हैं। खास तौर पर हेपेटाइटिस ई पानी जनित बीमारी है और गंदगी के आसपास रहने वाले लोगों को ज्यादा होती है। 

हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के होने के कारण बिल्कुल वैसे ही हैं, जैसे एचआईवी एड्स होने के कारण। असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित खून चढ़ाने, संक्रमित सुई के इस्तेमाल या संक्रमित गर्भवती मां से उसके बच्चे को हेपेटाइटिस बी और सी होने का खतरा रहता है।

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हेपेटाइटिस डी को डेल्टा हेपेटाइटिस भी कहा जाता है। यह लीवर की घातक बीमारी है। यह भी संक्रमित खून से होती है। यह अपनी तरह का अलग वायरस है जो हेपेटाइटिस बी के सहयोग से आगे बढ़ता है। बिना हेपेटाइटिस बी की मदद के हेपेटाइटिस डी वायरस घातक नहीं बनता।

इसके अलावा शराब के अत्यधिक सेवन के कारण भी लीवर को नुकसान पहुंचता है और इससे होने वाली बीमारी को एल्कोहोलिक हेपेटाइटिस कहते हैं। शराब लीवर के सेल्स को नुकसान पहुंचाती है और आगे चलकर यह लीवर को फेल कर सकती है। यही नहीं दवाओं के ज्यादा सेवन और जहर के संपर्क में आने के कारण भी हेपेटाइटिस हो सकता है।

इलाज की गति अब भी धीमी

2015 में कुल मामलों में एचबीवी (हेपेटाइटिस-बी) के नौ फीसद और एचसीवी (हेपेटाइटिस-सी) के 20 फीसद मामलों की पहचान हो पाई। इनमें से एचबीवी के आठ फीसद और एचसीवी के सात फीसद संक्रमित लोगों का इलाज शुरू हो पाया। डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य 2030 तक हेपेटाइटिस के टेस्ट 90 फीसद और एचबीवी व एचसीवी के संक्रमित 80 फीसद लोगों के इलाज का है।

अब खुशी की बात

हालांकि खुशी की बात यह है कि सरकारों के लगातार प्रयास रंग लाए हैं। नए संक्रमण घटे हैं और एचबीवी (हेपेटाइटिस-बी) के नए मामलों में कमी देखी गई है। ऐसा बच्चों में प्रभावी टीकाकरण के कारण हुआ है। 2015 में विश्व में जन्मे 84 फीसद बच्चों को हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण की तीन डोज दी गईं।

हेपेटाइटिस का इलाज

हेपेटाइटिस के इलाज के लिए आपका डॉक्टर सबसे पहले आपकी बीमारी के इतिहास के बारे में आपसे बात करेगा। जैसे पहले कोई इन्फेक्शन, अस्पताल में भर्ती होने का रिकार्ड आदि। आपकी जांच के दौरान डॉक्टर पेट को अपने उंगलियों या हथेली के सहारे आराम से दबाएगा, ताकि पता चल सके कि कहीं कोई दर्द तो नहीं है। डॉक्टर यह जानने की भी कोशिश करेगा कि कहीं आपके लीवर में सूजन तो नहीं है। अगर आपकी त्वचा या आंखें पीली पड़ रही हैं तो डॉक्टर इसको गंभीरता से लेगा। मामला गंभीर लगने पर डॉक्टर आपका लीवर फंक्शन टेस्ट कराने के साथ ही ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड भी कर सकता है।

हेपेटाइटिस से कैसे बचें

हेपेटाइटिस ए और ई से बचाव के लिए आपको साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आपको खुले में पानी, बर्फ, कच्ची या अधपका सी-फूड, खुले में रखे फल खाने से बचना चाहिए। उधर हेपेटाइटिस बी, सी और डी संक्रमित खून, असुरक्षित सेक्स संबंधों आदि से फैलते हैं तो ऐसे में उनके लिए जरूरी एहतियात बरतने चाहिए। इससे बचने के लिए आपको किसी का रेजर इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, किसी अन्य का टूथब्रश और सूई का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यही नहीं संक्रमित खून को छूना भी नहीं चाहिए।

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