अर्जित ज्ञान से बांट रहे सेहत की नेमत
लीलकर गांव के अवकाश प्राप्त चिकित्सा अधिकारी डा. भारतेंदु राय। जो जीवन के उत्तराद्र्ध में लोगों में सेहत की नेमत बांटने में जुटे हैं। डाक्टर राय की कर्मभूमि दशकों तक बिहार रही है।
जागरण संवाददाता, सिकंदरपुर (बलिया) : एक आदर्श वाक्य है सेवा परमो धर्म:। नीति व लोक शिक्षा की पुस्तकों में मिलने वाले इस वाक्य को आचरण में उतारने वाले समाज में कम लोग हैं। इन्हीं में से एक हैं लीलकर गांव के अवकाश प्राप्त चिकित्सा अधिकारी डा. भारतेंदु राय। जो जीवन के उत्तराद्र्ध में लोगों में सेहत की नेमत बांटने में जुटे हैं। डाक्टर राय की कर्मभूमि दशकों तक बिहार रही है। जहां मेडिकल ऑफिसर के रूप में उन्होंने जनता की सेवा की, उन्हें स्वस्थ रहने का मंत्र दिया। सेवा से अवकाश ग्रहण करने के बाद वे गांव चले आए। जनसेवा के संकल्प और बुद्ध की करुणा के साथ गांव लौटे डा. भारतेंदु ने पढ़ाई व नौकरी के दौरान अर्जित ज्ञान और अनुभव से गांव को सींचना शुरू किया।
जनसेवा को समर्पित की जिंदगी : जहां उनका बचपन बीता, बड़े हुए आज उसी गांव के लोगों को स्वस्थ रहने का
निशुल्क मंत्र दे रहे हैं। गांव आने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी जनसेवा के लिए समर्पित कर दी है। सामान्यजन को स्वस्थ रहने का मंत्र देने के साथ स्वास्थ्य रक्षा के तौर तरीके बता उसे जीवन में अपनाने का सुझाव भी देते हैं।
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