अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से किया इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2010 में जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए जमीन को तीनों पक्षकारों में बांटने का आदेश दिया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। अयोध्या भूमि विवाद पर जल्द सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट आज इनकार कर दिया। यह अर्ज़ी भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दाखिल की है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए स्वामी को पक्षकार न मानते हुए और वक्त की कमी जाहिर करते हुए जल्द सुनवाई की मांग से इनकार किया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस मामले के पक्षकारों ने कहा कि स्वामी इस केस में पक्षकार नहीं हैं। इसके बाद चीफ जस्टिस ने स्वामी से इन बाबत पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि वह पक्षकार नहीं है, हालांकि उनके लिए यह धार्मिक आस्था का मामला है। स्वामी ने कोर्ट से कहा कि उन्हें प्रॉपर्टी से मतलब नहीं है, उन्होंने बस पूजा करने के संवैधानिक अधिकार के तहत यह याचिका दायर की है। चीफ जस्टिस ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मामले पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सलाह दी थी कि सभी पक्षों को आपसी सहमति से मसले का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा थी कि ऐसी स्थिति में मध्यस्थता के लिए किसी जज की नियुक्ति की जा सकती है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट ने मामले को संवेदनशील और आस्था से जुड़ा बताते हुए पक्षकारों से बातचीत के जरिए आपसी सहमति से मसले का हल निकालने को कहा था। कोर्ट का यह रुख इसलिए अहम है क्योंकि एक बड़ा वर्ग इसे बातचीत और सामंजस्य से ही सुलझाने की बात करता रहा है।
याद दिला दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2010 में जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए जमीन को तीनों पक्षकारों में बांटने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने जमीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी पक्षकारों ने सुप्रीमकोर्ट में अपीलें दाखिल कर रखी हैं जो कि पिछले छह साल से लंबित हैं।
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