महज नारा न बन जाए 'हेल्थ फार आल'
सबको स्वास्थ्य सुविधा दिलाने का लक्ष्य हासिल करना जरूरी तो है, लेकिन इसे लोगों की आमदनी बढ़ाने के लक्ष्य के साथ नहीं जोड़ा गया तो यह महज एक और नारा बन कर रह जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सबको स्वास्थ्य सुविधा दिलाने का लक्ष्य हासिल करना जरूरी तो है, लेकिन इसे लोगों की आमदनी बढ़ाने के लक्ष्य के साथ नहीं जोड़ा गया तो यह महज एक और नारा बन कर रह जाएगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय राजेंद्र प्रताप गुप्ता का मानना है कि जब तक देश का सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) नौ-दस फीसदी की रफ्तार से नहीं बढ़ेगा, स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना मुश्किल हो सकता है।
राजेंद्र प्रताप गुप्ता ने साढ़े चार सौ से ज्यादा पन्नों की अपनी किताब 'हेल्थकेयर रिफार्म्स इन इंडिया' में कई अहम सुझाव दिए हैं। उनका कहना है कि सरकार को स्वास्थ्य पर खर्च तत्काल बढ़ाना चाहिए लेकिन अंतिम लक्ष्य यह हो कि आने वाले 15 साल में यह खर्च स्थिर हो जाए। उसके बाद सरकार स्वास्थ्य पर खर्च घटाना शुरू करे और नागरिक अपने स्वास्थ्य का बेहतर ध्यान रखें। भविष्य पर नजर रखे बिना व्यवस्था को लागू किया गया तो सबके लिए स्वास्थ्य के लक्ष्य को पूरा करने में हमारी अर्थव्यवस्था ही डूब जाएगी।
गुप्ता का कहना है कि यह लक्ष्य 'गरीबी हटाओ' की तरह सिर्फ नारा नहीं बन जाए इसके लिए जरूरी है कि लोगों की आमदनी को बढ़ाने पर भी उतना ही जोर दिया जाए। उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी बदलाव की भी सिफारिश की है। डाक्टरों और मरीजों के बीच अविश्वास की खाई को चौड़ा न होने देने के लिए उनका सुझाव है कि एक 'पेशेंट चार्टर' लागू कर इस अविश्वास के माहौल को दूर किया जाए। इलाज के लिए जिस तरह लोग इंटरनेट का सहारा ले रहे हैं, उसे देखते हुए सामान्य तकलीफों में सुझाव के लिए विश्वसनीय जानकारी वाला हेल्थ ऐप तैयार करना भी जरूरी है।