गोवंश की रक्षा के लिए हबीबी ने समर्पित किया जीवन
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में भूख से व्याकुल गोवंशीय पशु सड़क पर घूमता दिखाई दे या फिर किसी व्यक्ति के कहीं घायल होकर पड़े होने की सूचना मिल जाए, वह अपना जरूरी काम छोड़ देते हैं। कदम असहाय गोवंश की तरफ दौड़ पड़ते हैं। भूख से व्याकुल मिलने पर
आसिफ अली, अमरोहा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में भूख से व्याकुल गोवंशीय पशु सड़क पर घूमता दिखाई दे या फिर किसी व्यक्ति के कहीं घायल होकर पड़े होने की सूचना मिल जाए, वह अपना जरूरी काम छोड़ देते हैं। कदम असहाय गोवंश की तरफ दौड़ पड़ते हैं। भूख से व्याकुल मिलने पर वह चारे की व्यवस्था करते हैं। इसमें न धर्म की बंदिशें आड़े आती हैं और न सामाजिक बंधन।
कुछ ऐसे ही हैं हाजी जहीर अहमद हबीबी, जिन्होंने गोवंश की सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। इतना ही नहीं, वह अन्य लोगों को गोपालन से जुड़े लाभ बताते हुए जागरूक भी करते हैं। डींगरपुर निवासी हाजी जहीर अहमद हबीबी ने दो साल पहले गोसेवा के लिए राष्ट्रीय गऊ रक्षा फाउंडेशन का गठन किया। बतौर संयोजक वह शहर व गांवों में लोगों को गोवंशीय पशुओं के पालने से होने वाले फायदे बताते हैं।
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भूखे और जख्मी गोवंश के लिए चारे व उपचार की व्यवस्था भी वह निजी खर्चे पर करते हैं। अभी उनके पास बीमार या बूढ़े गाय-बैल को रखने के लिए जमीन नहीं है। इसलिए इनको गोशालाओं में संरक्षण के लिए भेज देते हैं। गोवंश के प्रति समर्पण देखकर अब केवल जिले के ही नहीं बल्कि मंडल भर के लोग उनके साथ तेजी के साथ जुड़ रहे हैं।
मुरादाबाद, रामपुर, सम्भल के सभी धर्मो के लोग गोरक्षा के लिए आगे आए हैं। फाउंडेशन में ज्यादातर मुसलमान खास बात यह है कि फाउंडेशन से जुड़ने वाले अधिकांश लोग मुसलमान हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी इंद्रेश कुमार भी इस फाउंडेशन को संचालित करने में उनका मार्गदर्शन करते हैं। जहीर अहमद हबीबी बताते हैं कि गोरक्षा करना उनका उद्देश्य है। बेजुबान पशुओं को राहत पहुंचाना भी इंसानी दायित्व होता है।
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सौरभ वकतानिया (मिड-डे), मुंबई। एक तरफ जहां दादरी में एक मुसलमान की हत्या से लोगों को झटका लगा है वहीं मुंबई के दिलीप काले हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं। 53 वर्षीय काले ने अपनी 2500 स्क्वायर फीट से ज्यादा की जगह मुस्लिमों को नमाज पढ़ने के लिए मुफ्त में दे दी है।
दरअसल धरावी के मुकुंद नगर में स्थित नूर मस्जिद में अप्रैल से ही पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है, इसके चलते लोगों को नमाज अदा करने में दिक्कत हो रही थी। इसे देखते हुए काले ने मस्जिद के नजदीक स्थित अपनी 2500 स्क्वायर फीट से ज्यादा की जगह को नमाज पढ़ने के लिए दे दी। इतना ही नहीं लोगों की दिक्कत को देखकर काले ने इस जगह की फर्श भी ठीक करवाते हुए पानी का नल भी लगवा दिया है।
नूर मस्जिद के ट्रस्टी हाजी शौकत अली ने बताया कि हमारी मस्जिद बहुत छोटी थी, उसे बड़ा करने के लिए हमने निर्माण कार्य शुरू किया। इसके चलते बहुत से लोग नमाज अदा नहीं कर पाते थे। हमने काले से मदद मांगी। वह हमारी मदद के लिए तैयार हो गए। अब लोग आसानी से नमाज अदा कर पा रहे हैं।
वहीं, जब इस पर काले से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ये लोग मेरे पास मदद के लिए आए थे। मैंने अपनी जमीन उन्हें नमाज पढ़ने के लिए दे दी। ये सारे अपने ही लोग हैं। हम 40 साल से ज्यादा समय से एक साथ रह रहे हैं।
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