दिल्ली के बड़े अस्पताल की नौकरी छोड़ चले गांव की सेवा करने
दिल में माटी का दर्द महसूस हुआ तो अपने गृह जनपद मऊ आने का फैसला किया। इसके बाद डा. संजय सिंह दिल्ली छोड़कर मऊ आ गए।
जागरण संवाददाता, मऊ : दिल्ली में रहकर बड़े अस्पतालों में अपनी सेवाएं दीं। ग्यारह साल पहले पूर्वांचल के लोगों को इलाज के लिए दिल्ली आते देखा तो डा. संजय सिंह के मन में ख्याल आया कि अगर वहां भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा होती तो यहां न आना पड़ता। दिल में माटी का दर्द महसूस हुआ तो अपने गृह जनपद मऊ आने का फैसला किया। इसके बाद डा. संजय सिंह दिल्ली छोड़कर मऊ आ गए। यहां आने के बाद एक अस्पताल में बतौर चिकित्सक सेवा शुरू की।
मरीजों के लिए और बेहतर करने की चाह जगी तो अपना अस्पताल खोल गांव-गांव निशुल्क हेल्थ कैम्प लगाना शुरू किया। जो छह साल से जारी है। अपने अस्पताल में भी समय-समय पर शिविर लगाते रहे लेकिन, अभी हाल में ही एक व्यक्ति के सुझाव पर हर सप्ताह दो दिन बुधवार व शुक्रवार मरीजों के नाम कर दिये। ताकि उन मरीजों को भी बेहतर चिकित्सा मिले जिनके पास पैसे नहीं है।
सेवा के लिए चुना यह क्षेत्र : गोरखपुर से एमबीबीएस और कानपुर से एमडी की डिग्री प्राप्त करने वाले जिले के चर्चित चिकित्सक डा. संजय सिंह कहते हैं कि उन्होंने इस क्षेत्र व्यवसाय की जगह सेवा मानकर चुना। सप्ताह में दो दिन मुफ्त शिविर का आयोजन करने के बारे में बताया कि प्रत्येक शुक्रवार को निशुल्क पीएफटी की जांच करते हैं। जबकि महीने में दो बार फाइब्रो स्कैन मशीन द्वारा लीवर की जांच भी निशुल्क की जाती है।
गांव-गांव बीपी व नेत्र की जांच : जानें अपना बीपी नंबर अभियान के तहत गांव-गांव जाकर निशुल्क ब्लड प्रेशर की जांच कराई जाती है। प्रत्येक बुधवार को डायबिटीज क्लीनिक शुगर मरीज के लिए चलाई जाती है। मेदांता, फोर्टिस जैसे हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सकों को बुलाकर निशुल्क परामर्श दिया जाता है। गांव-गांव जाकर मरीजों का निशुल्क नेत्र चेकअप व शुगर जांच के साथ ही आयुष डाक्टरों को सीएमई द्वारानई चिकित्सकीय गाइडलाइन की जानकारी दी जाती है।
समय -समय पर मेदांता, फोर्टिस जैसे हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सकों को बुलाकर निशुल्क परामर्श दिया जाता है। गांव-गांव जाकर गरीब मरीजों का निशुल्क में नेत्र चेकअप एवं शुगर की जांच के साथ ही आयुष डाक्टरों को सीएमई के द्वारा नई चिकित्सकीय गाइड लाइन की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा भी समाज हित में जो भी
संभव हो सकता है उसे किया जाता है। -डा. संजय सिंह
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