प्रदूषण रोकथाम की लचर कार्ययोजनाएं पेश करने पर हरियाणा व पंजाब को डांट
एनजीटी ने पंजाब तथा हरियाणा सरकार को डांट लगाई और उनसे ट्रिब्यूनल के पिछले फैसले का अध्ययन करने को कहा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए फौरी कार्ययोजनाएं पेश करने के लिए एनजीटी ने पंजाब तथा हरियाणा सरकार को डांट लगाई और उनसे ट्रिब्यूनल के पिछले फैसले का अध्ययन करने को कहा। एनजीटी प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसी के साथ दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान की सरकारों से प्रदूषण की रोकथाम के लिए व्यावहारिक समाधान पेश करने को कहा है।
ट्रिब्यूनल ने इस बात पर चिंता प्रकट की कि पंजाब और हरियाणा की सरकारें केवल सुप्रीमकोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) की समग्र कार्ययोजना का ही पालन करने में जुटी हैं तथा अपना खुद का दिमाग नहीं लगा रही हैं। सुनवाई के दौरान दोनो राज्य सरकारों ने कहा कि जब भी कभी प्रदूषण का स्तर लगातार 48 घंटे तक निर्धारित सीमा से अधिक होगा तो निर्माण गतिविधियों तथा कचरा जलाने पर प्रतिबंध के अलावा स्कूलों को बंद कराया जाएगा तथा प्रदूषणकारी उद्योगों की निगरानी की जाएगी।
लेकिन एनजीटी इस उत्तर से प्रभावित नहीं हुआ। उसने पूछा, 'आखिर 48 घंटे तक इंतजार करने का क्या तुक है? आपने जो कार्ययोजना पेश की है उसमें कुछ भी महान नहीं है। ये आपका बुनियादी कार्य है जिसे आपको हर समय करना ही है। फिर आपने यहां ईपीसीए की योजना का जिक्र क्यों किया? आप अपना दिमाग क्यों नहीं लगाते? इस देश में निर्धारित मानकों की शुद्ध हवा प्राप्त करना एक स्वप्न है।'
जब पीठ ने दिल्ली सरकार से ऑड-इवेन स्कीम पर उसका दृष्टिकोण जानना चाहा तो दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि उनकी सरकार कुछ रियायतों के साथ स्कीम को लागू करना चाहती है तथा उसने इस संबंध में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की है, जिस पर कल सुनवाई होगी।
इससे पहले बुधवार को एनजीटी ने दिल्ली तथा पड़ोसी राज्यों की सरकारों को वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए पेश की गई लचर कार्ययोजनाओं के लिए फटकारा था तथा उनसे विस्तृत कार्ययोजनाएं प्रस्तुत करने को कहा था। एनजीटी ने यह कहते हुए कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर कभी भी सामान्य नहीं था, पंजाब, हरियाणा, उप्र तथा राजस्थान की सरकारों को नए सिरे से कार्ययोजना पेश करने का निर्देश दिया था।
दिल्ली सरकार के वकील ने ट्रिब्यूनल के समक्ष एक कार्ययोजना पेश की थी। इसमें ऑड-इवेन स्कीम को लागू करने, ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने, निर्माण गतिविधियों को रोकने तथा प्रदूषण कम होने तक बच्चों को बाहर खेलने की अनुमति न देने का प्रस्ताव किया गया था।
इस मामले में याचिकाकर्ता वर्द्धमान कौशिक ने दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण की शिकायत की थी। याचिका में कहा गया था कि राज्यों की ओर से पेश की गई कार्ययोजनाएं केवल आंख में धूल झोंकने का प्रयास हैं और उनमें मात्र सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित ईपीसीए की सिफारिशों की नकल की गई है।
इससे पहले एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति तथा प्रत्येक राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो को हर महीने अपने यहां वायु प्रदूषण का विश्लेषण करने तथा उसके परिणामों को अपनी वेबसाइटों में प्रकाशित करने को कहा था।
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