चांदनी चौक में चार दिन होंगी किताबों की बातें
पुस्तकालय की सचिव डॉ. शोभा विजेंद्र ने बताया कि उत्सव का आयोजन पुस्तकालय के पास शांति देसाई स्पोर्ट क्लब में होगा।
नई दिल्ली, (जागरण संवाददाता)। चांदनी चौक में 9 से 13 दिसंबर तक किताबों और साहित्य की बातें होंगी। ऐतिहासिक हरदयाल निगम पुस्तकालय ने चांदनी चौक में 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं और वह शताब्दी वर्ष समारोह दिल्ली साहित्य विरासत उत्सव के रूप में मनाने जा रहा है। इस उत्सव में कई केंद्रीय मंत्री और साहित्यकार शामिल होंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से पुरानी दिल्ली की गंगा-जमुना तहजीब और समृद्ध विरासत को भी आम लोगों को परिचित कराया जाएगा।
पुस्तकालय की सचिव डॉ. शोभा विजेंद्र ने बताया कि उत्सव का आयोजन पुस्तकालय के पास शांति देसाई स्पोर्ट क्लब में होगा। कुछ कार्यक्रम जनपथ स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में भी होंगे। 9 दिसंबर को 3 बजे शांति देसाई स्पोर्ट क्लब में दिल और किताब विषय पर परिचर्चा होगी, जिसमें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी शामिल होंगी। शाम 6 से 8 बजे तक इंडियन ओशियन बैंड अपनी प्रस्तुति देगा, जिसमें बिजली, कोयला और खनन राज्य मंत्री पीयूष गोयल व सांसद अनुराग ठाकुर मौजूद रहेंगे।
10 दिसंबर को परिचर्चा भूले-बिसरे साहित्यिक रत्न व साहित्यिक रत्न सम्मान समारोह का आयोजन होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर मौजूद रहेंगे। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा मौजूद रहेंगे। रात में कवि सम्मेलन मुशायरा तथा पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें कवि और शायर हरिओम पंवार, राहत इंदौरी, दिनेश रघुवंशी, मुमताज नसीर समेत अन्य प्रस्तुति देंगे। इस तरह के कार्यक्रम 10 दिसंबर तक चलेंगे। कार्यक्रमों में विश्व भर के पुस्तकालयों को आपस में जोड़ने, साहित्यिक विरासत को बचाने और ऐतिहासिक पुस्तकों को ई-प्लेटफार्म पर लाने पर विचार-विमर्श होगा।
पुस्तकालय में डेढ़ लाख से अधिक किताबें हैं
चांदनी चौक के कच्चा बाग के नजदीक भवन में हरदयाल निगम पुस्तकालय वर्ष 1916 से चल रहा है। इस पुस्तकालय की शुरुआत वर्ष 1862 में वाचनालय के तौर पर टाउन हाल में हुई थी। बाद में इसे वर्ष 1902 में कच्चा बाग में एक छोटे भवन में स्थानांतरित किया गया। वर्ष 1916 में मौजूदा भवन बनकर तैयार हुआ। यहां हजारों दुर्लभ पांडुलिपियां हैं। यह देश की आजादी का भी गवाह है। यहां 8000 से अधिक दुर्लभ पुस्तकें है, जिसमें से कुछ 16वीं शताब्दी की हैं। हिंदी, उर्दू, फारसी, संस्कृत व अंग्रेजी की 1 लाख 70 हजार पुस्तकें हैं। इसकी पूरी दिल्ली में 19 ब्रांच भी हैं।