गडकरी को महाराष्ट्र की कमान संभालने का प्रस्ताव
महाराष्ट्र में बहुमत से थोड़ी दूर खड़ी भाजपा गठबंधन अपनी शर्तो पर ही करेगी। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री उम्मीदवार पर भी गठबंधन का कोई दबाव नहीं माना जाएगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद संभालने को कहा गया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। महाराष्ट्र में बहुमत से थोड़ी दूर खड़ी भाजपा गठबंधन अपनी शर्तो पर ही करेगी। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री उम्मीदवार पर भी गठबंधन का कोई दबाव नहीं माना जाएगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद संभालने को कहा गया है। देवेंद्र फणनवीस और विनोद तावड़े भी मुख्यमंत्री पद की रेस में हैं जबकि हरियाणा में मनोहर लाल खंट्टर प्रबल दावेदार है। हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष राम विलास शर्मा का नाम भी रेस में है।
महाराष्ट्र और हरियाणा में बड़ी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने संसदीय बोर्ड की बैठक ली। बैठक में जहां प्रस्ताव पारित कर जीत का श्रेय मोदी को दिया गया। वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद संभालने का प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि, बोर्ड ने यह फैसला गडकरी पर थोपा नहीं है। गडकरी ने पहले कहा था कि वह दिल्ली में ही रहना पसंद करेंगे।
विधानसभा में नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और महासचिव जेपी नड्डा को महाराष्ट्र तो वेंकैया नायडू और दिनेश शर्मा बतौर पर्यवेक्षक हरियाणा जाएंगे। हरियाणा में पूरी बिसात भाजपा की है। फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री का करना है। सूत्र बताते हैं कि खंट्टर का नाम सबसे आगे है। संघ के पुराने कार्यकर्ता और प्रचारक होने के साथ-साथ वह मोदी के भी नजदीकी रहे हैं। राज्य विधानसभा में उनकी जीत भी बड़ी रही है। वह पंजाबी समुदाय से हैं और दिल्ली में इसका प्रभावी असर हो सकता है। हालांकि, राम विलास का नाम अभी खारिज नहीं हुआ है।
महाराष्ट्र में यूं तो फडनवीस भाजपा नेतृत्व के पसंदीदा हैं लेकिन बहुमत न मिलने से कुछ दूसरे नाम भी रेस में आ गए हैं। बताते हैं कि शिवसेना फडनवीस के पक्ष में नहीं है जो संभवत: फिर से भाजपा के साथ गठबंधन बना सकता है। ध्यान रहे कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने फोन कर अमित शाह और प्रधानमंत्री को बधाई दी थी। संकेत साफ था कि वह फिर से राजग में वापसी के इच्छुक हैं। सूत्रों की मानी जाए तो भाजपा बिना शर्त गठबंधन करेगी। राकांपा ने पहले ही बिना शर्त समर्थन की बात कह कर शिवसेना के मोलभाव का अवसर कम कर दिया है।
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